Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Feb, 2019 01:46 PM
हिंदू पंचांग के अनुसार जया एकादशी माघ माह के शुक्ल पक्ष में आती है। शास्त्रों में ये भगवान श्री कृष्ण और धर्मराज युधिष्ठिर के बीच बातचीत के रूप में प्रस्तुत की गई है। इस व्रत को करने वाला मृत्यु के बाद भूत-प्रेत और पिशाच योनि में भटकता नहीं है।
ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
हिंदू पंचांग के अनुसार जया एकादशी माघ माह के शुक्ल पक्ष में आती है। शास्त्रों में ये भगवान श्री कृष्ण और धर्मराज युधिष्ठिर के बीच बातचीत के रूप में प्रस्तुत की गई है। इस व्रत को करने वाला मृत्यु के बाद भूत-प्रेत और पिशाच योनि में भटकता नहीं है। उसे सीधा बैकुंठ प्राप्त होता है। जिस घर में इस व्रत का पालन होता है, वहां कभी भी ऊपरी बाधाएं अपना प्रभाव नहीं दिखाती। वहां रहने वाले सदस्य धनवान और सेहतमंद होते हैं। पुराणों के अनुसार वैसे तो 80 वर्ष तक के हर व्यक्ति को इस व्रत का पालन करना चाहिए। यदि आपके लिए व्रत रखना संभव न हो तो 24 घंटे में अवश्य करें ये काम, फिर देखें इस उत्तम व्रत का आपकी लाइफ पर क्या प्रभाव डल रहा है।
न करें ये काम-
लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन न खाएं।
किसी का दिल न दुखाएं।
संभोग न करें।
झूठ न बोलें।
रात को सोना नहीं चाहिए।
करें ये काम-
पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके धूप जलाएं और फिर वहीं पीले आसन पर बैठकर भगवान विष्णु की पूजा करें।
गाय के घी का दीपक जलाएं।
पीले कपड़े पहन कर पूजा करें।
24 घंटे मन ही मन महामंत्र का जाप करें।
जया एकादशी की व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
तुलसी माला धारण करें। यदि पहन रखी है तो उसे उतारकर गंगा जल से साफ करें और धूप दिखाएं।
श्री हरि विष्णु के मंदिर जाकर दीपदान करें।
तुलसी के पौधे के पास पीले आसन पर बैठकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
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