महर्षि दयानंद जी की शिक्षाएं दूरदर्शिता, देशभक्ति, व्यावहारिकतापूर्ण एवं युगानुकूल

Edited By Jyoti,Updated: 18 Feb, 2020 11:04 AM

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स्वामी जी के 196वें जन्मदिवस पर विशेषस्वामी जी की शिक्षाओं का प्रसार करने में ''शिक्षण संस्थानों'' की भूमिका श्रेष्ठ  जालंधर (विनीत): महर्षि दयानंद जी के 196वें जन्म दिवस पर आज भी लोग बड़े गर्व से उन्हें याद करते हैं।

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स्वामी जी के 196वें जन्मदिवस पर विशेषस्वामी जी की शिक्षाओं का प्रसार करने में 'शिक्षण संस्थानों' की भूमिका श्रेष्ठ 
जालंधर (विनीत): महर्षि दयानंद जी के 196वें जन्म दिवस पर आज भी लोग बड़े गर्व से उन्हें याद करते हैं। वह महान समाज सुधारक तथा धार्मिक पुनरुत्थान के प्रवर्तक तो थे ही साथ ही साथ वह प्रचंड राष्ट्रवादी तथा राजनीतिक आदर्शवादी भी थे। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वासों, रुढियों-बुराइयों को दूर करने के लिए निर्भयता की जो मशाल जलाई उसे आज भी आर्य समाज ने सम्भाल रखा है तथा उसकी रोशनी में समाज निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर है, इसी कारण उन्हें संन्यासी योद्धा भी कहा जाता है। 
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समाज में स्त्रियों की दशा को सुधारने के लिए उन्होंने बाल विवाह, सती प्रथा जैसी कुरीतियों का डटकर विरोध किया और विधवा विवाह का भी समर्थन किया। लड़कियों की शिक्षा के लिए प्रबल आंदोलन चलाए। सामाजिक पुनर्गठन में सभी वर्णों तथा स्त्रियों की भागीदारी के वह पक्षधर थे। उनके 196वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में सभी आर्य समाज संस्थान उनकी शिक्षाओं से प्रेरित होकर जीवन को सार्थक बनाने का प्रण ले रहे हैं। महानगर के शिक्षण संस्थान भी महर्षि दयानंद जी की शिक्षाओं को प्रसारित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का समय-समय पर आयोजन करते रहते हैं। 
 

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