26 जुलाई का बुधवार है खास, ये उपाय बदल देगा आपका वक्त

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jul, 2017 12:43 PM

july 26th wednesday is special

जिस प्रकार ॐ के बिना सब मंत्र अधूरे हैं उसी प्रकार बिना गणेश भगवान की स्तुति के सभी देवी-देवताओं का पूजन अधूरा है। शुभ कार्यों में गणेश जी अग्रपूज्य हैं। वह देवों में भी अग्रपूज्य हैं। उन्हें

जिस प्रकार ॐ के बिना सब मंत्र अधूरे हैं उसी प्रकार बिना गणेश भगवान की स्तुति के सभी देवी-देवताओं का पूजन अधूरा है। शुभ कार्यों में गणेश जी अग्रपूज्य हैं। वह देवों में भी अग्रपूज्य हैं। उन्हें प्रसन्न किए बिना कल्याण संभव नहीं। उनकी पूजा, बाधाओं, मुश्किलों को पल में दूर कर हमें सद्बुद्धि, रिद्धि-सिद्धि तथा सत्य का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देती है। गणेश शब्द की व्याख्या अत्यंत महत्वपूर्ण है। गणेश का ‘ग’ मन के द्वारा, बुद्धि के द्वारा ग्रहण करने योग्य, वर्णन करने योग्य सम्पूर्ण जगत को स्पष्ट करता है। ‘ण’ मन, बुद्धि और वाणी से परे ब्रह्मविद्या स्वरूप परमात्मा को स्पष्ट करता है और इन दोनों के ईश अर्थात स्वामी गणेश कहे गए हैं। 


गणपति शब्द ब्रह्म अर्थात ॐ का प्रतीक है। इसी कारण सभी मंगल कार्यों और देव प्रतिष्ठापनाओं के आरंभ में गणपति की पूजा की जाती है। भगवान शिव ने गणेश जी को विघ्ननाशक होने का वर दिया। कलयुग में विघ्नविनाशक गणेश जी शीघ्र फलदाता  माने गए हैं।  उन्हें लड्डू बहुत पसंद हैं। एक दंत होने के कारण वह चबाने वाली चीजों को नहीं खा पाते, लड्डू खाने में उन्हें आसानी होती होगी इसलिए मोदक उन्हें प्रिय हैं क्योंकि वह आनंद का प्रतीक हैं। वह ब्रह्मशक्ति का प्रतीक है क्योंकि मोदक बन जाने के कारण उसके भीतर क्या है, दिखाई नहीं देता। मोदक की गोल आकृति गोल और महाशून्य की प्रतीक है। शून्य से सब उत्पन्न होता है और शून्य में ही सब विलीन हो जाता है।


कल 26 जुलाई बुधवार को दूर्वा गणपति व्रत अथवा सिद्धि विनायक श्री गणेश चतुर्थी व्रत है। यह व्रत सावन में आ रहा है इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। गणेश जी की पूजा यानी कामयाबी की 100 फीसदी गारंटी। शास्त्र कहते हैं गणपति मंगलकारी एवं सदैव प्रसन्न रहने वाले देव हैं। वह कभी किसी चिंता में नहीं पड़ते और न अपने भक्तों को पड़ने देते हैं। गणपति अथर्वशीर्ष में कहा गया है जो व्यक्ति अपना मंगल चाहते हैं उन्हें प्रेम और श्रद्धा से गणेश जी को मोदक का भोग लगाना चाहिए। शास्त्रों में मोदक को ब्रह्म के समान माना गया है। 


गणपत्यथर्वशीर्ष के अनुसार, "यो मोदकसहस्त्रेण यजति स वांछितफलमवाप्नोति।" 


अर्थात: गणेश जी को मोदक का भोग लगाने वाले व्यक्ति पर वह सदा प्रसन्न रहते हैं और उसके मन की हर इच्छा को पूरा करते हैं।

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