Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Apr, 2018 09:08 AM
भगवान शिव एकमात्र ऐसे देव हैं, जिनका पूजन लिंग रूप में होता है। शिवलिंग साकार एवं निराकार ईश्वर का प्रतीक मात्र है, जो परमात्मा-आत्म-लिंग का द्योतक है। शिव और शक्ति का पूर्ण स्वरूप है शिवलिंग। ''शिव'' का अर्थ है - ''परम कल्याणकारी'' और ''लिंग'' का...
भगवान शिव एकमात्र ऐसे देव हैं, जिनका पूजन लिंग रूप में होता है। शिवलिंग साकार एवं निराकार ईश्वर का प्रतीक मात्र है, जो परमात्मा-आत्म-लिंग का द्योतक है। शिव और शक्ति का पूर्ण स्वरूप है शिवलिंग। 'शिव' का अर्थ है - 'परम कल्याणकारी' और 'लिंग' का अर्थ है - 'सृजन'। शिवलिंग का अर्थ होता है भगवान शंकर का यौन अंग। शिव के वास्तविक स्वरूप से अवगत होकर जाग्रत शिवलिंग का अर्थ होता है प्रमाण। वैसे तो संसार भर में बहुत सारे मंदिर हैं, जहां भगवान शिव शिवलिंग रूप में दर्शन देते हैं। बारह ज्योतिर्लिंग ऐसे हैं, जहां भगवान शिव स्वयं प्रगट हुए थे। इनके नाम हैं सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, विश्वनाथ, त्रयम्बकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर और घुश्मेश्वर। यह भारत के विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं। इन शिवलिंग रूपों के दर्शन करना दुर्लभ है, अत: इनका चित्रपट घर में लगाकर प्रतिदिन पूजन करने से भी पुण्य प्राप्त किया जा सकता है। चित्र लगाने से पहले ध्यान रखें ये बातें-
सभी ज्योतिर्लिंग के चित्रपट एकसाथ न लगाएं, अपनी राशि के अनुसार लगाना शुभ फल देगा। पूर्व या पश्चिम दिशा का चयन करें। भगवान शिव के किसी भी प्रिय वार को इन्हें लगाएं जैसे सोमवार, पूर्णिमा, शिवरात्रि अथवा सावन माह। इनके साथ किसी अन्य देवी-देवता का चित्र अथवा स्वरूप न रखें। एकनिष्ठ होकर अराधना करें।
राशि अनुसार लगाएं ज्योतिर्लिंग का चित्र
मेष- श्री रामेश्वरम
वृष- श्री सोमनाथ
मिथुन- श्री त्रयम्बकेश्वर
कर्क- श्री महाकाल
सिंह- श्री मल्लिकार्जुन
कन्या- श्री ओंकारेश्वर
तुला- श्री नागेश्वर
वृश्चिक- श्री केदारनाथ
धनु- श्री घुश्मेश्वर
मकर- श्री भीमाशंकर
कुम्भ- श्री विश्वनाथ
मीन- श्री वैद्यनाथ