वहम के पैदा होने के पीछे क्या सच में है ज्योतिष का हाथ ?

Edited By Jyoti,Updated: 10 Jul, 2019 03:28 PM

jyotish grah is responsible for the problem of hypersensitivity

एक शक और दूसरा वहम ये ऐसे कीड़े माने जाते हैं जो अगर किसी के दिमाग में घर कर लेते हैं तो उसका जीवन तबाही की कगार पर पहुंच जाता है। अब सवाल ये है कि आख़िर शक और वहम पनपते कैसे हैं ?

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एक शक और दूसरा वहम ये ऐसे कीड़े माने जाते हैं जो अगर किसी के दिमाग में घर कर लेते हैं तो उसका जीवन तबाही की कगार पर पहुंच जाता है। अब सवाल ये है कि आख़िर शक और वहम पनपते कैसे हैं ? हम जानते हैं इस प्रश्न के हर किसी के पास भिन्न-भिन्न उत्तर होगा। मगर दावे के साथ कह सकते हैं जो उत्तर हमारे पास है वो किसी के पास नहीं होगा। जी हां, ज्योतिष शास्त्र के पास इस बात का सटीक जवाब है कि क्यों और कैसे व्यक्ति के जीवन में वहम की एंट्री होती है। तो चलिए अधिक देर न करते हुए आपको बताते हैं इसके बारे में-
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वहम की समस्या मन से पैदा होती है और इसका मुख्य ग्रह चन्द्रमा होता है। चन्द्रमा के साथ छाया ग्रहों का संबंध वहम को जन्म देता है। कहा जाता है सबसे ज्यादा वहम की संभावनाएं वायु तत्व की राशियों में होती हैं और इसके बाद जल तत्व की राशियों को वहम की अधिक बीमारी होती है।

वहम की अलग स्थितियां कैसी होती हैं-
कुंडली में कोई योग स्थाई हो तो वहम स्थाई हो जाता है। इसके अलावा कई बार किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा के कारण भी वहम उत्पन्न हो जाता है। तो वहीं दशाओं के गड़बड़ होने पर भी वहम की स्थितियां पैदा हो जाती हैं।

क्यों होता है वहम-
ज्योतिष के अनुसार गलत रत्न पहनने पर भी वहम की स्थितियां पैदा हो जाती हैं। तो वहीं गलत मंत्र जप भी समस्या दे देते हैं। इसलिए कहा जाता है कि ऐसा कुछ भी पहनने या करने से पहले ज्योतिषियों की राय जरूर ले लें।
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इस कारण पैदा होता है वहम-
रोज़ान स्नान न करने से और साफ़-सफ़ाई से न रहने पर वहम की स्थितियां पैदा हो सकती है।

गलत और खराब संगति में रहने से भी भ्रम की बीमारी लगती है।

जो लोग हरे वृक्ष काटते हैं या जिन्हें नशे की आदत होती है, ऐसे लोगों में अधिक वहम देखा जाता है। 

वहम को दूर करने के करें ये उपाय-
रोज़ाना प्रातः सूर्य को जल अर्पित करें और प्रातः 108 बार गायत्री मंत्र का जप करें।
इसके अलावाअ अगर हो सके तो पूर्णिमा का व्रत ज़रूर रखें।
ज्योतिश की सलाह लेकर हाथ में पन्ना या पीला पुखराज धारण करें।
जितना हो सके चन्दन की सुगंध का प्रयोग करें।
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