वाहन और धन सुख चाहते हैं तो इस विधि से शुक्र को करें बलवान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Sep, 2020 06:07 AM

kaise kare shukra ko majboot

भारत में शुक्र ग्रह का अस्त होना आंचलिक भाषा में तारा डूबना कहलाता है, जो विवाह के मुहूर्त तय करता है। विवाह का मुहूर्त निकालते समय गुरु तथा शुक्र की आकाशीय स्थिति

Shukra astrology: भारत में शुक्र ग्रह का अस्त होना आंचलिक भाषा में तारा डूबना कहलाता है, जो विवाह के मुहूर्त तय करता है। विवाह का मुहूर्त निकालते समय गुरु तथा शुक्र की आकाशीय स्थिति देखना ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। दोनों ही ग्रह शुभ अवस्था में होने चाहिएं। इस साल के अंत तक दोनों ग्रह अब ठीक अवस्था में रहेंगे, अत: विवाह के मुहूर्त 10 दिसंबर, 2020 तक काफी संख्या में उपलब्ध हैं। गुरु के बाद सौरमंडल में शुक्र का नंबर आता है। आकाश में शुक्र ग्रह को आसानी से देखा जा सकता है। इसे संध्या और भोर का तारा भी कहते हैं। आकाश में सबसे तेज चमकदार तारा शुक्र ही है। ज्योतिषियों और वैज्ञानिकों का मानना है कि शुक्र की किरणों का हमारे शरीर और जीवन पर अकाट्य प्रभाव पड़ता है।

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शुक्र चार सौर स्थलीय ग्रहों में से एक है। जिसका अर्थ है कि पृथ्वी की ही तरह यह एक चट्टानी पिंड है। आकार व द्रव्यमान में यह पृथ्वी के समान है और अक्सर पृथ्वी की ‘बहन’ या ‘जुड़वां’ के रूप में वर्णित किया गया है।  शुक्र का व्यास 12,092 कि.मी. (पृथ्वी की तुलना में केवल 650 कि.मी. कम) और द्रव्यमान पृथ्वी का 81.5 प्रतिशत है।

शुक्र हमारे जीवन में स्त्री, वाहन और धन सुख को प्रभावित करता है। यह एक स्त्री ग्रह है। पुरुष के लिए स्त्री और स्त्री के लिए पुरुष शुक्र है। हिन्दू धर्म में लक्ष्मी, काली और गुरु शुक्राचार्य को शुक्र ग्रह से संबंधित माना जाता है। जैसे-जैसे जातक की कुंडली में ग्रहों की दशा में परिवर्तन आता है उसी प्रकार उनके सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव भी जातक पर पड़ते हैं। इसलिए ग्रहों की चाल, ग्रहों के गोचर या कहें ग्रहों के राशि परिवर्तन का व्यापक प्रभाव समस्त राशियों पर पड़ता है।

शुक्र जिसे अंग्रेजी में वीनस यानी सुंदरता की देवी कहा जाता है। यह वृषभ व तुला राशियों के स्वामी हैं। इन्हें दैत्यगुरु भी माना जाता है। जो जातक की कुंडली में विवाह से लेकर संतान तक के योग बनाते हैं। लाभ का कारक भी शुक्र को माना जाता है। जीवन में सुख-समृद्धि भी शुक्र के शुभ प्रभाव से आती है। शुक्र जातक में कला के प्रति आकर्षण पैदा करते हैं। कलात्मकता का विकास करते हैं। शुक्र का जातक की कुंडली में कमजोर या मजबूत होना बहुत मायने रखता है।

मीन राशि में शुक्र उच्च के होते हैं तो कन्या राशि में इन्हें नीच का माना जाता है। शुक्र जो सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद आकाश में अपनी चमक से एक विशेष पहचान रखते हैं। शनि, बुध व केतु के साथ इनकी मित्रता है तो सूर्य, चंद्रमा तथा राहू के साथ इनका शत्रुवत संबंध है। मंगल और बृहस्पति के साथ इनका संबंध सामान्य है। शुक्र का राशि परिवर्तन ज्योतिष के नजरिए से एक अहम गतिविधि है।

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Shukr Grah Ke Upay-शुक्र को बलवान बनाने के लिए कुछ सामान्य उपाय
कोई भी काम शुरू करने से पहले पिता या पितातुल्य लोगों से सलाह लें।
शुक्रवार के दिन सफेद वस्तुओं का दान करें।
माता-पिता का आशीर्वाद लेकर घर से निकलें।
शुक्र का शुभ फल प्राप्त करने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठें।
गुरुजनों का सम्मान करें और उनका आशीर्वाद लें।
शुक्रवार के दिन माता संतोषी की पूजा करें।
स्फटिक की माला धारण करें।
श्री सूक्त का पाठ करना आपके लिए शुभ रहेगा।
शुक्र की मजबूती के लिए आपको शक्कर का दान करना चाहिए।
शुक्रवार को मंदिर में तुलसी का पौधा लगाएं।
प्रत्येक शुक्रवार चींटियों को आटा व पिसी शक्कर मिश्रित कर डालें।
सफेद गाय को नित्य चारा व रोटी दें।

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Venus daana- शुक्रवार को शुक्र का दान करें- (दान सामग्री : श्वेत वस्त्र, सौंदर्य सामग्री, इत्र, चांदी, शक्कर, दूध-दही, चावल, घी, स्फटिक, सफेद पुष्प)।

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