पांडवकालीन कालेश्वर मंदिर में खंडित शिवलिंग के दर्शन को उमड़ता है जनसैलाब

Edited By Jyoti,Updated: 02 Aug, 2022 10:35 AM

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कौशांबी : संगम नगरी प्रयागराज से सटे कौशांबी जिले में गंगा तट पर स्थित पांडवकालीन कालेश्वर मंदिर में स्थापित खंडित शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के कष्ट दूर होते है और उन्हे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।...

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कौशांबी : संगम नगरी प्रयागराज से सटे कौशांबी जिले में गंगा तट पर स्थित पांडवकालीन कालेश्वर मंदिर में स्थापित खंडित शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के कष्ट दूर होते है और उन्हे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शिवलिंग की महिमा एवं अछ्वुत चमत्कारिक ख्याति के चलते सावन के महीने में इस शिवालय में जलाभिषेक एवं पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। प्रयागराज कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सैनी बस अड्डे से मात्र सात किमी की दूरी पर 51 शक्तिपीठों में शामिल शीतला धामकडा में गंगा के तट पर स्थित शिवालय के बारे में जनश्रुति है कि पांडव पुत्र युधिष्ठिर ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस शिवलिंग की स्थापना की थी।   
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कालांतर में इसे कालेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां तभी से जलाभिषेक, रुद्राभिषेक भगवान शिव की पूजा अर्चना का क्रम चला रहा है ,वैसे सनातन धर्म में खंडित प्रतिमा वह खंडित शिवलिंग की पूजा न करने का विधान है लेकिन देश में यह पहला शिवलिंग है जहां खंडित होने के बावजूद पूजा अर्चना जलाभिषेक श्रद्धालुओं द्वारा पूरे श्रद्धा विश्वास एवं भक्ति के साथ किया जाता है। कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब के सैनिकों ने कड़ा धाम आकर गंगा के किनारे स्थित कालेश्वर भगवान शिव के मंदिर में स्थापित शिवलिंग को नष्ट करने का प्रयास किया था। 

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जैसे ही सैनिकों ने शिवलिंग पर तलवार से प्रथम बार प्रहार किया तो शिवलिंग का कुछ भाग क्षतिग्रस्त हो गया और शिवलिंग से दूध की धार निकलने लगी। सैनिकों ने दोबरा जब शिवलिंग को नुकसान पहुंचाने के लिए तलवार से वार किया तो शिवलिंग से मधुमक्खियां निकल पड़ी और मुगल सैनिकों पर टूट पड़ी, ऐसी स्थिति में मुगल सैनिकों को जान बचा कर के वहां से भागना पड़ा। तभी से इस चमत्कारी का और अछ्वुत शिवलिंग के प्रति शिव भक्तों की विशेष आस्था बनी हुई है। शिव भक्तों का मानना है कि कालेश्वर धाम पहुंचकर रुद्राभिषेक एवं पूजा अर्चना करने से पाप नष्ट हो जाते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। वैसे तो वर्ष भर श्रद्धालु कड़ा धाम आकर महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन पूजा अर्चना और जलाभिषेक करते हैं। सावन के महीने में यहां पूजा अर्चना और जलाभिषेक का विशेष महत्व है पूरे महीने भर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पूजा अर्चना के लिए उमड़ पड़ती है।

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