Edited By Jyoti,Updated: 21 Oct, 2018 01:28 PM
ज्योतिष की मानें तो हर किसी की कुंडली में ग्रह अपना प्रभाव डालते हैं। कहा जाता है कि जिस किसी की कुंडली में ग्रहों की बुरी स्थिति होती है, उनके जीवन में कई प्रकार के दोष पैदा हो जाते हैं।
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ज्योतिष की मानें तो हर किसी की कुंडली में ग्रह अपना प्रभाव डालते हैं। कहा जाता है कि जिस किसी की कुंडली में ग्रहों की बुरी स्थिति होती है, उनके जीवन में कई प्रकार के दोष पैदा हो जाते हैं। इन दोषों के चलते उनकी लाइफ में उथल-पुथल हो जाती है। इनमें से एक होता है कालसर्प दोष। कहते हैं जिस किसी की कुंडली में भी ये दोष पैदा हो जाते है उसे इसकी शांति की पूजा या उपाय सावन माह में, नाग पंचमी के दिन, त्र्यम्बकेश्वर मंदिर नासिक में, फिर किसी प्राचीन शिव मंदिर में जाकर करने कालसर्प का दोष दूर होता है, लेकिन असल में ऐसा कुछ भी नहीं है।
आपको बता दें कि अगर कोई कालसर्प दोष है तो वे खुद कभी भी अपने घर पर इस दोष के कुछ छोटे-छोटे और सरल उपाय करके भी इससे मुक्ति पा सकता हैं। तो अगर कोई जातक कुंडली के कालसर्प दोष का निवारण करना चाहते हैं तो बिना किसी रुपया पैसा खर्च किए इस सरल विधि से अपने घर पर ही ऐसे करें उपाय।
एेसे करें कालसर्प दोष की पूजा
जो व्यक्ति कालसर्प दोष से पीड़ित हो उसे हर सोमवार को ब्राह्म मुहूर्त में 4 बजे सादे जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर धुले हुए सफ़ेद रंग के कपड़े पहनें।
मिट्टी की छोटी सी शिवलिंग बनाकर, ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करते हुए गाय के दुध से अभिषेक करें। बाद में शिवलिंग पर 11 साबुत सफेद चावल के दाने 'श्री राम' नाम का उच्चारण करते हुए चढ़ाएं। चावल चढ़ाते समय मन ही मन शिवजी से कालसर्प दोष दूर करने की कामना करें।
इस प्रकार की पूजा 11 सोमवार तक करें। 11 सोमवार से पहले भी कालसर्प का दोष खत्म हो जाता है। ध्यान रखे कि पूजा का समय एक ही होना चाहिए, बार बार समय नहीं बदलना हैं।
11 सोमवार तक एक ही समय एक ही स्थान पर घर में बनाएं हुए या किसी प्राचीन शिवलिंग के ऊपर एक मुट्ठी साबुत गेंहू, एक गीला नारियल व एक सिक्का ये सब सामग्री 'श्री राम' नाम मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्पण करें।
जो सिक्का प्रथम सोमवार को लिया है वही संख्या वाला सिक्का हर बार लेना है, अगर पहले सोमवार को 1 रुपए का सिक्का लिया था तो हर सोमवार को भी 1 रूपए का ही लेना हैं। सबसे पहले शिवलिंग पर गेंहू को अर्पण करें, फिर नारियल एवं उस पर सिक्का रखकर अर्पण करें। इस पूरी क्रिया के दौरान श्री राम नाम का जप निरंतर करते रहें। यह 11 सोमवार तक करें।
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