ऐसे मृत व्यक्ति अपने परिवार-कुल में उत्पन्न करते हैं पीड़ा, जानें बुरे समय के संकेत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Feb, 2018 08:50 AM

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ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है नवग्रह व्यक्ति के जीवन को पूर्ण रूप से अपने वश में रखते हैं। कुंडली के 12 भावों में यह अपनी-अपनी भूमिका निभाते हुए शुभ अथवा अशुभ फल देते हैं। जब किसी जातक की कुंडली के 9 में से 7 ग्रह राहु-केतु के मध्य आते हैं तो...

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है नवग्रह व्यक्ति के जीवन को पूर्ण रूप से अपने वश में रखते हैं। कुंडली के 12 भावों में यह अपनी-अपनी भूमिका निभाते हुए शुभ अथवा अशुभ फल देते हैं। जब किसी जातक की कुंडली के 9 में से 7 ग्रह राहु-केतु के मध्य आते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है। कालसर्प दोष का असर व्यक्ति के जीवन को अस्त-व्यस्त कर देता है और उससे जीवन में ऊपर उठने नहीं देता। सारा जीवन वह सुख-शांति के लिए तरसते रहते हैं।


ब्रह्मचर्य अवस्था में मृत्यु हो जाना, पानी में डूबकर मर जाना, हिंसक जानवरों द्वारा मृत्यु हो जाना, सर्पदंश से मरना, अपने हाथों से ब्रह्म हत्या, बालहत्या, गौहत्या होना, आग से जलकर मरना, गले में फंदा लगाकर मरना, अति आहार करने से मरना, देशांतर से मरना, पंचक, त्रिपाद, दक्षिणायन में मरना, अपरात्रि में मरना, प्रेतक्रिया, दशांत सपिंडी का न होना इत्यादि प्रकार से हुई मृत्यु को अकाल मृत्यु कहते हैं। ऐसे मृत व्यक्ति अपने परिवार तथा कुल में पीड़ा उत्पन्न करते हैं।


कालसर्प दोष से पीड़ित लोगों को आते हैं ऐसे बुरे स्वप्र
पुत्र संतान का न होना, हुई तो उसका जीवित न रहना, प्रेतबाधा के कारण पीड़ा होना, इसके साथ ही पूर्वजन्म के प्रेतशाप, पितृशाप, सर्पशाप इत्यादि के कारण स्त्री या पुरुष या किसी भी छोटे या बड़े व्यक्ति को शापसूचक स्वप्र दिखाई देते हैं। स्वप्र में नाग दिखना, नाग की हत्या करना, नाग के टुकड़े होते देखना,  नदी, तालाब, कुएं या समुद्र का पानी दिखना, पानी में डूबते हुए या पानी से ऊपर आने का प्रयत्न करते देखना, झगड़ते देखना, एकाध मकान गिरते हुए दिखाई देना, विधवा स्त्री या मृत रिश्तेदार दिखाई देना, पेड़ के फल दिखना, जिस स्त्री की संतान जीवित नहीं रहती ऐसी स्त्री मरे हुए बच्चों को अपनी गोद में लेकर उन्हें जिंदा समझती है और उसका बच्चा कोई उससे दूर खींचता है, ऐसा दिखाई देना इत्यादि शापसूचक स्वप्रों के परिहारार्थ एवं उनसे उत्पन्न पीड़ा दूर करने के लिए नारायण-नागबलि विधि करेंस मानव का सांप से संबंध
श्रीमद्भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा-

संगात संजायते काम: कामात्क्रोधोऽभिजायते।
क्रोधाद्भवति संमोह: सम्मोहात् स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशात् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात् प्रणश्यति।

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