Kanjak puja: इस तरह करें कन्या पूजा, नवदुर्गा होंगी प्रसन्न

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Oct, 2023 07:58 AM

kanjak puja

इस बार शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि का पूजन 14 अक्तूूबर, 2021 को किया जाएगा और इसी के साथ नवरात्रि का समापन हो जाएगा। कन्या पूजन से एक दिन पहले ही कन्याओं को अपने घर आमंत्रित कर देना चाहिए।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Kanjak puja 2023: इस बार शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि का पूजन 23 अक्तूूबर, 2023 को किया जाएगा और इसी के साथ नवरात्रि का समापन हो जाएगा। कन्या पूजन से एक दिन पहले ही कन्याओं को अपने घर आमंत्रित कर लेना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार 2 वर्ष लेकर 10 वर्ष तक की कन्या को कंजक पूजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए। यदि आप दुर्गाष्टमी के दिन करते हैं तो कन्या पूजन 22 अक्तूबर को होगा और यदि महानवमी के दिन करते हैं तो कन्या पूजन 23 अक्तूबर को होगा।

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शारदीय नवरात्रि अष्टमी तिथि का शुभ मुहूर्त 
अष्टमी तिथि को महागौरी माता का पूजन कन्या रुप में किया जाएगा। अत: कंजन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 27 मिनट के बाद का है। इसके बाद कभी भी कंजक पूजन किया जा सकता है।

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कन्या पूजन का पारम्परिक विधान: दुर्गाष्टमी को कन्या पूजन करके व्रतादि का उद्यापन करना शुभ रहेगा। अष्टमी पर 9 कन्याओं तथा 1 बालक को अपने निवास पर आमंत्रित करें। उनके चरण धोएं। मस्तक पर लाल टीका लगाएं, कलाई पर मौली बांधें। लाल पुष्पों की माला पहनाएं। 

उनका पूजन करके उन्हें हलवा, पूरी, काले चने का प्रसाद दें या घर पर ही खिलाएं। चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें। उन्हें लाल चुनरी या लाल परिधान तथा उचित दक्षिणा एवं उपयोगी उपहार सहित विदा करें। इस दिन कन्या रक्षा का संकल्प भी लें।

देवी का अष्टम स्वरूप महागौरी का है। इसे श्री दुर्गाष्टमी भी कहा जाता है। भगवती का सुंदर, सौम्य स्वरूप महागौरी में विद्यमान है। वह सिंह की पीठ पर सवार हैं। उनके मस्तक पर चंद्र का मुकुट सुशोभित है। चार भुजाओं में शंख, चक्र, धनुष और बाण हैं।

सबसे महत्वपूर्ण है कि माता का यह स्वरूप सौन्दर्य से संबंधित है। इनकी आराधना से सौन्दर्य प्रदान होता है। जो युवक-युवतियां सौन्दर्य के क्षेत्र में जाने के इच्छुक हैं, वे इस दिन महागौरी की आराधना करें।

फिल्म, ग्लैमर व रंगमंच की दुनिया की इच्छा रखने वाले या सौन्दर्य प्रतियोगिताओं में भाग लेने जा रहे युवा आज के दिन व्रत के साथ-साथ  नीचे दिए मंत्र का जाप भी अवश्य करें। 

जिनके वैवाहिक संबंध सुंदर न होने के कारण नहीं हो रहे या टूट रहे हों वे आज अवश्य उपासना करें।

चौकी पर श्वेत रेशमी वस्त्र बिछा कर माता की प्रतिमा या चित्र रखें। घी का दीपक जला कर चित्र पर नैवेद्य अर्पित करें। दूध निर्मित  प्रसाद चढ़ाएं।

मंत्र- ओम् ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै! ओम् महागौरी देव्यै नम:!!

इस मंत्र की एक या 11 माला करें। अपनी मनोकामना अभिव्यक्त करें जो अष्टमी पर अवश्य पूर्ण होगी।

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9 देवियों के रूप में 9 कन्याएं
शास्त्रों में कहा गया है कि 9 देवियों के रूप में अष्टमी या नवमी के दिन व्रत का परायण करने से पहले 9 कन्याओं का पूजन करना चाहिए।
  
ये कन्याएं 9 देवियों का ही रूप हैं। हर कन्या एक देवी का रूप है जिसका पूजन करते हुए उपासक परोक्ष रूप से उस देवी का ही पूजन करता है।

इसमें 2 साल की बच्ची कुमारी, 3 साल की त्रिमूर्ति, 4 साल की कल्याणी, 5 साल की रोहिणी, 6 साल की कालिका, 7 साल की चंडिका, 8 साल की शाम्भवी, 9 साल की दुर्गा और 10 साल की कन्या सुभद्रा का स्वरूप होती हैं। 

जरूरी नहीं कि 9 ही कन्याएं पूजन के लिए आएं अगर ज्यादा कन्याएं आ गई हैं तो उनका भी विधिवत पूजन करें और प्रसाद वितरित करें। अगर कन्याओं की संख्या ज्यादा न हो पाए तो भी चिंता न करें, केवल 2 कन्याओं को पूजने से भी व्रत का परायण हो सकता है। 

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