Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Jul, 2022 09:02 AM

श्रावण मास की कांवड़ यात्रा का लगभग समापन हो गया है। मंगलवार रात सवा नौ बजे से भगवान शिव का जलाभिषेक के साथ तमाम श्रद्धालुओं ने अपनी पूजा संपन्न की। शिवालय भगवान
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गाजियाबाद (नवोदय टाइम्स): श्रावण मास की कांवड़ यात्रा का लगभग समापन हो गया है। मंगलवार रात सवा नौ बजे से भगवान शिव का जलाभिषेक के साथ तमाम श्रद्धालुओं ने अपनी पूजा संपन्न की। शिवालय भगवान शंकर के उद्घोष से गूंज रहे थे क्योंकि जलाभिषेक का सिलसिला बुधवार को भी चलेगा। लेकिन इस बार की कांवड़ यात्रा कई मायनों में अनोखी रही है। क्योंकि कांवड़ यात्रा को यूं तो विशुद्ध धार्मिक आयोजन माना जाता है। लेकिन कांवड़ लेकर लौट रहे या हरिद्वार की ओर जा रहे शिवभक्त बम भोले के नारों के साथ-साथ भारत माता के भी जयकारे लगा रहे हैं। इन यात्राओं में भगवा झंडे के साथ-साथ तिरंगा भी उतना ही नजर आता है। यानि कांवड़ यात्रा केवल भगवान शिव को जलाभिषेक करने के भर तक सीमित नहीं है, राष्ट्रवाद की भावना इसमें कहीं गहरे तक बैठी है।
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इसका साक्षात उदाहरण सोमवार रात को हरिद्वार से लौटे एक कांवड़ यात्री के कंधों पर देखने को मिला। हरिद्वार से गंगाजल लाने के बजाय यह शिव भक्त अपने कंधे पर एक सैनिक की प्रतिमा लेकर चल रहा था। उसका कहना है कि यह उसकी हमारे देश के वीर जवानों और शहीदों को श्रद्धांजलि है। इसके साथ ही इस बार कांवड़ यात्रा में आधुनिकता का भी छौंक लगा। कई कांवड़िए इस बार हार्ड-वर्क की बजाए स्मार्ट वर्क करते दिखे। जिसमें यह कांवड़ यात्री पैरों में स्केट्स बांधकर हरिद्वार से गंगाजल लेकर आ रहे थे। उनके ऐसे स्मार्ट वर्क से कई कांवड़िए भी हैरत में दिखे। हैरत में वो लोग भी दिखे जिन्होंने मुरादनगर के सुराना में शिव मंदिर की सजावट को देखा। भक्तों के लिए इस मंदिर को बहुत को बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया गया है जिसकी भव्यता देखते ही बनती है।
