यहां जानें कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और पारण समय

Edited By Jyoti,Updated: 13 Apr, 2019 07:23 AM

kanya pujan

13 अप्रैल को इस साल के चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि पड़ रही है। तो वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार इस दिन यानि 13 अप्रैल को अष्टमी-नवमी साथ ही मनाई जाएगी।

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13 अप्रैल को इस साल के चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि पड़ रही है। तो वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार इस दिन यानि 13 अप्रैल को अष्टमी-नवमी साथ ही मनाई जाएगी। बता दें पंजाब केसरी के आचार्य कमल नंदलाल के अनुसार चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 12 अप्रैल की रात्रि से शुरू होकर 13 अप्रैल की सुबह 11:40 तक रहेगी। इसके बाद 14 अप्रैल सुबह 9:36 तक नवमी रहेगी।

ज्योतिष के अनुसार अष्टमी और नवमी दोनों तिथियों के दिन कन्या पूजन करने का विधान होता है। तो आइए आगे आपको बताते हैं कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और नवरात्रि का पारण समय आदि-
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अष्टमी पर कंजक पूजन-
जिन लोगों को अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन करना है यानि 13 अप्रैल को उनके लिए  शुभ मुहूर्त है-

सुबह 6 से सुबह 9.12 तक

सुबह 10.47 से 11.41 तक
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नवमी पर कंजक पूजन-
जिन लोगों को नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करना है यानि 14 अप्रैल को उनके लिए शुभ मुहूर्त है-

सुबह 6.42 से लेकर सुबह 9.36 तक

इसके अलावा नवरात्रि का पारण, हवन और विसर्जन का शुभ मुहूर्त सुबह 9.36 के बाद का है।

साथ ही बता दें कि विसर्जन और पारण का सर्वश्रेष्ठ मुहुर्त है- सुबह 9.36 से लेकर दोपहर 2.25 तक।
 

इसके अलावा ज्योतिष में कन्या पूजन को लेकर कुछ सावधानियां बताई गई हैं, जिनका ध्यान रखना अनिवार्य माना जाता है-
अष्टमी हो या नवमी दोनों कन्या पूजन से पहले प्रात:काल स्नान-ध्यान कर भगवान गणेश और मां महागौरी की पूजा करें।

इसके बाद देवी के नौ स्वरूपों का ध्यान करते हुए घर में नौ कन्याओं को सादर आमंत्रित करें और उन्हें ससम्मान आसान पर बिठाएं।

अब शुद्ध जल से उनके पैर धोएं। कहा जाता है कि ऐसा करने व्यक्ति के समस्त पापों का नाश हो जाता है।

फिर कन्याओं को तिलक लगाकर श्रेणीबद्ध बिठाएं और कन्याओं के हाथ में रक्षासूत्र बांधक और चरणों में पुष्प चढ़ाएं।
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नई थाली में कन्याओं को पूड़ी, हलवा, चना आदि श्रद्धा पूर्वक परोसें।  इसके बाद अपना क्षमता के मुताबिक दक्षिणा और वस्त्र भेंट करें।

भोजन के बाद देवी का स्वरूप मानते सभी कन्याओं की आरती करें और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त ज़रूर करें। 

आखिर में कन्याओं को सादर दरवाज़े तक और अगर संभव हो तो उनके घर तक जाकर विदा करके आएं।
 

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