Edited By Jyoti,Updated: 01 Nov, 2020 12:15 PM
कुछ जगहों पर 30 को तो कुछ जगहों पर 31 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया गया। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा के के बाद कार्तिक मास प्रारंभ हो जाता है। जिसका सनातन धर्म में अधिक महत्व है। धा
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कुछ जगहों पर 30 को तो कुछ जगहों पर 31 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया गया। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा के के बाद कार्तिक मास प्रारंभ हो जाता है। जिसका सनातन धर्म में अधिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये पूरा मास भगवान विष्णु तथा उनके दामोदर रूप की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस मास में दान-पुण्य का खास महत्व है। पंचांग के अनुसार कार्तिक मास का प्रारंभ हो चुका है, इस पूरे माह का एक एक दिन अपने आप में विशेष होता है। ऐसे में व्यक्ति के लिए ये जानना अधिक आवश्यक है कि सप्ताह के अनुसार इस दिन कैसे पूजा करनी चाहिए। बता दें आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं, कि दिन के अनुसार जातक को कौन सा व्रत करना चाहिए, कैसे पूजा पाठ करनी चाहिए, तथा इससे क्या लाभ प्राप्त होता है।
लेकिन इससे पहले आपको बता दें कि सनातन धर्म में व्रत और दान आदि का कितना महत्व है, इस बात से कोई सनातनी अंजान नहीं होगा। व्रत आदि को लेकर हर किसी की अपनी धारणा है, इसलिए लोग अपनी विभिन्न तरह की इच्छाओं की पूर्ति के अनुसार व्रत रखते हैं, कुछ आस्था के चलते व्रत करते हैं, तो वहीं कुछ लोग बेहतर स्वास्थ्य के लिए, तो बहुत से लोग मानसिक शांति तथा अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए व्रत रखते हैं। अगर शास्त्रों की मानें तो सही मायने में व्रत न सिर्फ अपने आराध्य को प्रसन्न करके दैविक लाभ पाने के लिए किया जाता है बल्कि यह तन-मन की शांति और सुख का कारक होता है, जो यह ईश्वर के प्रति की जाने वाली भक्ति का प्रतीक होता है।
तो आइए जानते हैं कि सप्ताह के सात दिनों में किए जाने वाले किस व्रत के दान और मंत्र से दैवीय कृपा शीघ्र प्राप्त होती है-
(नोट- कार्तिक मास में अगर आप निम्न बताई गई जानकारी के अनुसार व्रत आदि करते हैं तो आपको भी लाभ प्राप्त हो सकता है।)
रविवार का व्रत-
कहा जाता है रविवार का दिन भगवान सूर्य देव को समर्पित होता है, जो भी जातक इस दिन व्रत करता है उसके जीवन में से रोग, शोक और शत्रु का नाश हो जाता है। साथ ही साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ज्योतिष और धार्मिक शास्त्रों में बताया जाता है कि इस दिन व्रत करने वाले को सूर्य देव मूल मंत्र 'ओम घृणि सूर्याय नम:' का जाप करना चाहिए, इससे समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती से हैं।
सोमवार का व्रत-
सोमवार का दिन भगवान शंकर के साथ-साथ उनके मस्तर पर विराजमान चंद्रदेव को भी समर्पित हैं। इसलिए इस दिन इनकेे लिए भी व्रत आदि भी किया जाता है। जिससे जीवन में व्यापार में लाभ, आर्थिक लाभ तथा खासतौर परल दांपत्य जीवन में खुशहाली बढ़ती है। इस दिन चंद्रदेव के 'ॐ चं चंद्रमसे नम:' का जाप करने लाभदायक माना जाता है।
मंगलवार का व्रत-
मंगलवार का दिन ग्रहों में सबसे क्रूर ग्रह कहे जाने वाले मंगल ग्रह के राजा मंगल देव का भी माना जाता है। कहा जाता है इनका व्रत से भूमि-भवन से जुड़ा सुख मिलता है। साथ ही साथ इनके व्रत के प्रभाव से जातक को शत्रुओं पर विजय, पुत्र की प्राप्ति तथा वाहन सुख की प्राप्ति होती है। इन्हें प्रसन्न करने के लिए जातक के लिए 'ॐ अंगारकाय नम: ' मंत्र का अच्छा साबित होता है।
बुधवार का व्रत-
इस दिन व्रत करने से जातक को व्यापार में लाभ के साथ, संतान की प्राप्ति होती है, कार्यों में प्रगति मिलती है तथा साथ ही साथ जातक की बुद्धि भी विकसित होती है। बताया जाता है कि इस व्रत की शुरुआत किसी भी मास के प्रथम बुधवार से या शुक्लपक्ष के प्रथम बुधवार से ही करनी चाहिए। इनके आराधना में 'ॐ बुं बुधाय नम:' मंत्र का जप करना चाहिए।
बृहस्पतिवार का व्रत-
जो जातक गुरुवार का व्रत करता है, उसे देवगुरु बृहस्पति की कृपा से ज्ञान, मान-सम्मान के साथ-साथ धन की प्राप्ति होती है। ज्योतिष बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए विधि- विधान से व्रत रखते हुए 'ॐ बृं बृहस्पतये नम:' मंत्र का जाप करना चाहिए, इससे लाभ प्राप्त होता है।
शुक्रवार का व्रत-
शुक्रवार का व्रत वैवाहक जीवन में सुख के लिए तथा भैतिक सुख-सुविधाओं के लिए किया जाता है। बताया जाता है शुक्रवार के व्रत किसी भी मास के प्रथम शुक्रवार या शुक्लपक्ष के पहले शुक्रवार से शुरू किया जा सकता है। जिसमें शुक्रदेव को प्रसन्न करने के लिए 'ॐ शुं शुक्राय नम:' मंत्र का जाप करना चाहिए।
शनिवार का व्रत-
शनिवार के दिन शनि देव की आराधना का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने से जातक को विपत्तियों से राहत मिलती है, अल्पायु में मृत्यु से बचाव होता है। इनका व्रत करने वाले जातक को 'ॐ शं शनये नम:' मंत्र का जप करना चाहिए, इससे से प्रसन्न होकर व्रती की जीवन के कष्ट दूर करते हुए समस्त प्रकार की इच्छाएं पूरी करते हैं।