Edited By Jyoti,Updated: 05 Nov, 2020 01:59 PM
कार्तिक मास में भगवान विष्णु की पूजा करने का कितना महत्व है, अब तक इस बात को आप में से लगभग समझ गए होंगे। अपनी वेबसाइट के द्वारा हम आपको लगातार इससे जुड़ी तमाम जानकारी आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
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कार्तिक मास में भगवान विष्णु की पूजा करने का कितना महत्व है, अब तक इस बात को आप में से लगभग समझ गए होंगे। अपनी वेबसाइट के द्वारा हम आपको लगातार इससे जुड़ी तमाम जानकारी आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। आज हम आपको बताने वाले हैं कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने के बाद कौन सा काम करना सबसे आवश्यक माना होता है। जिससे जातक को पूजा का फल शीघ्र मिलता है।
धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। बता दें धार्मिक ग्रंथों में इन्हें बृहस्पतिदेवता के नाम से भी जाना जाता है। जिनकी आराधना करने वाले व्यक्ति को कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती। जी हां, शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान विष्णु की आराधना करने वाले व्यक्ति को पूजा समाप्त करने के बाद इनकी आरती का गुणगान ज़रूर करना चाहिए। मगर बहुत से लोग ऐसे देखे जाते हैं जो इस बात को लेकर असमंजस में रहते हैं कि इस दौरान कौन सी आरती गानी चाहिए। तो बता दें क्योंकि इन्हें बृहस्पति देव कहा जाता है इसलिए इस दिन बृहस्पति देव की आरती करनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है बिना इसे किए पूजा सफल नहीं होती।
यहां जानें संपूर्ण आरती-
ॐ जय बृहस्पति देवा-
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे।
जेष्टानंद बंद सो-सो निश्चय पावे।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।