Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Oct, 2018 01:20 PM
पदमपुराण में कहा गया है कार्तिक माह में शुद्ध घी अथवा तिलों के तेल से दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। मंदिरों में और नदी के किनारे दीपदान करने से लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है।
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पदमपुराण में कहा गया है कार्तिक माह में शुद्ध घी अथवा तिलों के तेल से दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। मंदिरों में और नदी के किनारे दीपदान करने से लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है। इस माह में दीपदान करने से विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में छाया अंधकार दूर होता है। व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि होती है।
वैसे तो भगवान के मंदिर में दीप दान करने वालों के घर सदा खुशहाल रहते हैं परंतु कार्तिक मास में दीपदान की असीम महिमा है। इस मास में वैसे तो किसी भी देव मंदिर में जाकर रात्रि जागरण किया जा सकता है परंतु यदि किसी कारण वश मंदिर में जाना सम्भव न हो तो किसी पीपल व वट वृक्ष के नीचे बैठकर अथवा तुलसी के पास दीपक जलाकर प्रभु नाम की महिमा का गुणगान किया जा सकता है। इस मास में भूमि पर शयन करना भी उत्तम है।
पितरों के लिए आकाश में दीपदान करने की बहुत महिमा है, जो लोग भगवान विष्णु के लिए आकाश में दीप का दान करते हैं उन्हें कभी क्रूर मुख वाले यमराज का दर्शन नहीं करना पड़ता और जो लोग अपने पितरों के निमित्त आकाश में दीपदान करते हैं उनके नरक में पड़े पितर भी उत्तम गति को प्राप्त करते हैं। जो लोग नदी किनारे, देवालय, सड़क के चौराहे पर दीपदान करते हैं उन्हें सर्वतोमुखी लक्ष्मी प्राप्त होती है।
यदि किसी के पास दीपक जलाने की सुविधा न हो तो स्कंदपुराण के अनुसार किसी भी बुझे हुए दीपक को जलाकर अथवा उसे हवा के तेज झोंकों से बचाने वाला भक्त भी प्रभु की कृपा का पात्र बन जाता है। इस मास में भूमि पर शयन करना भी उत्तम कर्म है।
श्रीकृष्ण के आगे दीपक लगाने से जीवन साथी की तलाश पूरी होती है। रूक्मणी और श्रीकृष्ण के आगे दीपक लगाने से मनभावन जीवन साथी मिलता है। दीपक की लौ को पूर्व दिशा में रखें, इससे व्यक्ति दीर्घजीवन जीता है। उत्तर दिशा में दीपक की लौ रखने से धन और प्रसन्नता बढ़ती है।
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