केदारनाथ पर खतरे का संकेत, तबाही मचाने वाली झील फिर पानी से भरी

Edited By Lata,Updated: 24 Jun, 2019 06:10 PM

kedarnath concept

इस बात से तो सब वाकिफ ही हैं कि आज से 6 साल पहले केदारनाथ धाम में बेहद ही खतरनाक तूफान आया था,

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)
इस बात से तो सब वाकिफ ही हैं कि आज से 6 साल पहले केदारनाथ धाम में बेहद ही खतरनाक प्रलय आया था, जिससे कि बहुत सी मासूम लोगों की जाने गई थी और साथ ही बहुत से लोगों का सब कुछ तबाह हो गया था। कहते हैं कि उस तबाही के निशान आज भी वहां मौजूद हैं। 16 जून 2013 को चोराबरी झील, जिसे गांधी सरोवर भी कहा जाता है, वहां की केदार घाटी में भयंकर तबाही मची थी। चोराबरी झील के टूटने से आई उस जल प्रलय का वेग इतना भयानक था कि केदार घाटी और इसके आस-पास मौजूद कई मंजिला होटल और गेस्ट हाउस तिनके की तरह बिखरकर पानी में बह गए थे। केदार घाटी में विनाश मचाने के बाद यह झील लगभग विलुप्त हो गई थी और इसका इलाका एक समतल भूमि के रूप में दिखाई देने लगा था।
PunjabKesari, kundli tv
लेकिन क्या आपको पता है कि विनाश की इस झील को लेकर एक बहुत बड़ी खबर सामने आई है कि चोराबरी झील फिर से पानी से भर गई है। ऐसा बताया जा रहा है कि कुछ दिनों पहले केदारनाथ धाम में स्वास्थ्य कैंप चला रहे डॉक्टरों ने धाम से करीब 5 किलोमीटर ऊपर ग्लेशियर में बनी एक झील को चोराबाड़ी झील होने का दावा किया है। चोराबाड़ी झील के ही हिस्से में दूसरी झील आकार ले रही है और यह झील धीरे-धीरे बड़ी होती जा रही है। जिसके बाद इस झील की जानकारी वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों को दी गई है। इसकी जानकारी मिलने के तुरंत बाद एक्शन में आई वैज्ञानिकों की टीम जल्द ही इस झील की जांच करने जा रही है। चोराबरी झील करीब 250 मीटर लंबी और 150 मीटर चौड़ी है। डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें केदारनाथ मंदिर से लगभग पांच किमी दूर स्थित झील मिली है जो फिर से पानी से लबालब भरी हुई है। उन्होंने जिला प्रशासन को सूचित किया है जिसके बाद रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी को अलर्ट किया है और इसकी जांच-पड़ताल करने को भी कहा है। 
PunjabKesari, kundli tv
इसके बावजूद ऐसी आशंका जताई जा रही है कि झील बारिश, पिघलती बर्फ और हिमस्खलन सामग्री से भर जाती है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि जब ग्लेशियर पिघलता है तो जगह-जगह छोटी-छोटी झीलें बन जाती हैं। इस साल ग्लेशियरों में ज्यादा झील बनने के आसार हैं क्योंकि इस बार बहुत ज्यादा बारिश और बर्फबारी हुई है। इस वजह से अभी ग्लेशियर पिघल रहे हैं और वहीं इकट्ठा होकर छोटे-छोटे झील बना लेते हैं लेकिन इन झीलों से कोई खतरे वाली बात नहीं है। परंतु फिर भी जो चोराबाड़ी दोबारा बनने की बात की जा रही है ऐसी कोई बात नहीं है। आपदा के बाद जारी किए गए रिपोर्ट में पहले की कह दिया गया था कि चोरबारी झील दोबारा पुनर्जीवित नही हो सकती है।
PunjabKesari, kundli tv
चोराबाड़ी झील या फिर कोई अन्य झील हो तबाही मचाने के लिए किसी नाम की दरकार नहीं है, पानी जिस तरह से एक बड़ी झील का आकार ले रहा है वो वाकई अभी से सुरक्षा के उपाय करने के लिए एक संकेत है.  गौरतलब है कि साल 2013 की आपदा में केदारनाथ में बड़े पैमाने पर विनाश के लिए चोराबाड़ी झील का फटना मुख्य कारण माना गया था, क्योंकि मंदाकिनी घाटी में बाढ़ आने के कारण, मलबे और बोल्डर के साथ मिश्रित झील के पानी ने शहर में व्यापक विनाश किया था.

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!