Edited By Jyoti,Updated: 08 Apr, 2018 11:49 AM
महाभारत एक एेसा काव्य है, जिसके सूत्र आज भी उतने ही प्रासंगिक है, जितने उस समय में थे। इसमें दासी पुत्र विदुर का अपना ही एक अहम रोल रहा है। उन्होंने अपनी नीतियों के जरिए धृतराष्ट्र न गांधारी को भी बहुत से उपदेश दिए।
महाभारत एक एेसा काव्य है, जिसके सूत्र आज भी उतने ही प्रासंगिक है, जितने उस समय में थे। इसमें दासी पुत्र विदुर का अपना ही एक अहम रोल रहा है। उन्होंने अपनी नीतियों के जरिए धृतराष्ट्र न गांधारी को भी बहुत से उपदेश दिए। इतना ही इन्होंने केवल अपनी नीतियों के बल पर इतिहास में श्रेष्ठ स्थान हासिल किया। इनके ग्रंथ में दी गई नीतियां आज भी हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। तो आईए जानें विदुर जी की एक खास नीति के बारे में।
विदुर कहते हैं कि-
भूयांसं लभते क्लेशं गौर्भवति दुर्दहा।
अथ या सुदुहा राजन् नैव ता वितुदन्यापि।।
इस श्लोक में विदुर कहते हैं कि जो गाय अपने मालिक को परेशान करते हुए दूध देती है, उसे बहुत से कष्ट सहन करना पड़ते हैं। मालिक उसे पीटता भी है, समय पर खाने के लिए घास भी नहीं देता। जबकि जो गाय आसानी से मालिक को दूध प्रदान कर देती है, उसे किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती है।
इस नीति द्वारा महात्मा विदुर जी यब समझाना चाहते हैं कि जो व्यक्ति अपने मालिक या स्वामी या प्रबंधक या वरिष्ठजनों के आदेश का पालन तुरंत कर लेता है, उसे किसी भी प्रकार की प्रताड़ना सहन नहीं करनी पड़ती है। समय-समय पर उचित प्रमोशन और प्रोत्साहन मिलता रहता है। जबकि जो लोग अपने प्रबंधक के आदेशों की अवहेलना करते हैं, ठीक से काम नहीं करते, उन्हें तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।