Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Jan, 2018 03:54 PM
शिवलिंग को भगवान शंकर का ही स्वरूप माना जाता है। ग्रथों में इसके पूजन के बारें में विस्तार में बताया गया है। इसमें शिवलिंग की पूजा और परिक्रमा को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं जिससे भगवान शंकर जल्द प्रसन्न होकर इंसान की समस्त मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
शिवलिंग को भगवान शंकर का ही स्वरूप माना जाता है। ग्रथों में इसके पूजन के बारें में विस्तार में बताया गया है। इसमें शिवलिंग की पूजा और परिक्रमा को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं जिससे भगवान शंकर जल्द प्रसन्न होकर इंसान की समस्त मनोकामनाएं पूरी करते हैं। तो अगर आप भी भगवान शंकर को प्रसन्न करना चाहते हैं तो शिवलिंग की पूजा और परिक्रमा के इन नियमों को ध्यान में रख कर ही शिवलिंग की पूजा अर्चना करें।
ये हैं नियम शिवलिंग की पूजा और परिक्रमा के नियम:
परिक्रमा के दौरान शिवलिंग के चारों ओर घूमने से भगवान शिव नाराज होते हैं। क्योंकि असल में शिवलिंग के नीचे का हिस्सा जहां से शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल बाहर आता है वह पार्वती का भाग माना जाता है। इसलिए शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग की परिक्रमा के दौरान आधी परिक्रमा की जाती है और फिर वापस लौटकर दूसरी परिक्रमा पूर्ण की जाती है।
शिवपुराण के अनुसार कोई भी शिवलिंग की जल की निकासी यानि कि निर्मली को लांघता है तो वह पापी कहलाता है और उसके भीतर की समस्त शक्ति छीन जाती है। इसलिए निर्मली तक परिक्रमा करनी चाहिए, यानि की आधी परिक्रमा। ये भी ध्यान रखें कि कभी भी जलधारी के सामने से शिवलिंग की पूजा भी न करें।
शिवलिंग के चारों ओर घूमकर परिक्रमा करने से दोष लगता है और व्यक्ति पुण्य के बजाए पाप का भागी बन जाता है।
शिवलिंग पर हल्दी या मेहंदी न चढ़ाएं, क्योंकि यह देवी पूजन की सामग्री है।
शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
शिवलिंग की पूजा करते समय मुंह दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए।
पूजा करते समय शिवलिंग के ऊपरी हिस्से को स्पर्श नहीं करना चाहिए।