वामन पुराण से जानें किन चीज़ों के बिना अधूरा होता है करवा चौथ व्रत

Edited By Jyoti,Updated: 16 Oct, 2019 04:35 PM

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17 अक्टूबर यानि कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को भारक के विभिन्न राज्यों भारत, उत्तर प्रेदश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात आदि में मुख्य रूप से करवा चौथ का पर्व मनाया जाएगा।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
17 अक्टूबर यानि कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को भारक के विभिन्न राज्यों भारत, उत्तर प्रेदश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात आदि में मुख्य रूप से करवा चौथ का पर्व मनाया जाएगा। बता दें इसके साथ ही इस दिन संकष्ठी चतुर्थी का भी पर्व मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि को मनाए जाने वाले इस व्रत का अधिक महत्व है। वैसे तो विभिन्न शास्त्रों में करवा चौथ की महत्वता के बारे में बताया गया है। परंतु क्या आपको पता है विष्णु भगवान के अवतार वामन पुराण में भी करवा चौथ का वर्णन मिलता है।
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सास से उपहार
सास से मिली सरगी किसी उपहार से कम नहीं मानी जाती। करवा चौथ के व्रत का प्रारंभ सास द्वारा दी जाने वाली सरगी से होता है। हर सास अपनी बहू को सरगी देती है और व्रत पूर्ण होने का आशीर्वाद देती है। सरगी में मिठाई, फल आदि होता है, जिसे सूर्योदय के समय बहू व्रत से पहले खाती हैं, इसी से उसे पूरे दिन ऊर्जा मिलती है कि वो अपना व्रत आसानी से पूरा कर सके।

व्रत का विधान
ये तो सभी जानते ही होंगे कि करवा चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है। व्रत के विधान के अनुसार व्रती महिलाएं को पूरा दिन कुछ भी खाना और पीना वर्जित होता है। व्रती अपने कठोर व्रत से माता गौरी और भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं कि उन्हें अखंड सुहाग और सुखी दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद मिल सके।  
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पूजा
इस दिन सुबह ही श्री गणेश के पूजन करने के बाद भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है। पूजा में माता गौरी और भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है। बता दें इस दौरान शुद्ध पीली मिट्टी से शिव, गौरी एवं गणेश जी की मूर्ति बनाकर उसे चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है।

कथा
बताया जता है इस दिन यानि करवा चौथ को दिन में पूजा की तैयारी के बाद शाम में मौहल्ले आदि की सभी महिलाएं एक जगह एकत्रित होती हैं और वहां पंडित जी या किसी उम्रदराज महिला से करवा चौथ की कथा सुनती है।
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