जानें, शनि कृपा से कब बनेगा आपका अपना घर

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Feb, 2020 07:06 AM

know when your house will be built with the help of shani dev

शनि एक ऐसा ग्रह है जो स्थायी सम्पत्ति के मामलों में अपना विशेष असर दिखाता है। ‘लाल किताब’ में शनि की स्थिति के अनुसार मकान बनने या नहीं बनने, मकान निर्माण किस आयु में करेंगे आदि के बारे में

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शनि एक ऐसा ग्रह है जो स्थायी सम्पत्ति के मामलों में अपना विशेष असर दिखाता है। ‘लाल किताब’ में शनि की स्थिति के अनुसार मकान बनने या नहीं बनने, मकान निर्माण किस आयु में करेंगे आदि के बारे में आश्चर्यजनक बातें लिखी गई हैं। शनि यदि लग्न में बैठा हो और पहला भाव मेष राशि हो अर्थात शनि नीच अवस्था में हो तो जातक अपना पुश्तैनी मकान भी बेचकर खा जाएगा। वह फिर कभी मकान नहीं बना पाएगा और खाने तक के लाले पड़ जाएंगे, लेकिन यदि पहला भाव तुला राशि हो और शनि उसमें उच्च का होकर बैठा हो तो जातक भव्य भवनों में रहेगा और यदि शनि की विंशोत्तरी दशा/अंतरदशा में मकान बनवाएं तो बहुत ही शुभ फल देगा, लेकिन साथ ही शर्त यह है कि कुंडली का दसवां भाव खाली होना चाहिए।

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शनि यदि वृष राशि या दूसरे भाव में बैठा हो तो यह मकान बनवाएगा और लाभ देगा।

शनि तीसरे भाव में हो या मिथुन राशि में हो तो मार्गी होने पर इसका प्रभाव न अच्छा, न बुरा रहेगा, लेकिन यदि वक्री हो अथवा नीच की राशि में हो तो जातक गरीब होगा और अपना मकान कभी नहीं बनवा पाएगा।
उपाय : यदि जातक तीन कुत्ते पाल ले तो उसका मकान बन जाएगा।

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यदि शनि चौथे भाव में या कर्क राशि में बैठा हो तो मकान बन तो जाएगा, लेकिन जातक के पिता और माता के रिश्तेदारों को यह शुभ नहीं होगा।

शनि पांचवें भाव या सिंह राशि में बैठा हो तो जातक द्वारा बनवाए गए मकान में उसके बच्चे नहीं जी पाएंगे। यदि ऐसे व्यक्ति की संतान मकान बनवाए तो वह फायदेमंद साबित होगा। यदि व्यक्ति खुद अपना मकान बनवाना चाहता है तो नींव रखने से पहले पशुधन (गाय, बकरी या भैंस) दान करना होगा। ऐसा करने से बच्चों पर अशुभ प्रभाव नहीं पड़ेगा।

यदि शनि छठवें भाव या कन्या राशि में बैठा हो तो जातक का मकान 39 साल की उम्र के बाद ही बनना चाहिए।

यदि शनि सातवें भाव में या तुला राशि में बैठा है और यदि वह वक्री या नीच राशि में है तो जातक को अपना मकान बनवाते समय उसमें पुराने मकान की चौखट व दरवाजा ही लगाना चाहिए। यदि वह ऐसा करेगा तो उसकी खोई हुई अथवा लुटी हुई सम्पत्ति भी उसे वापस मिल जाएगी।

यदि शनि आठवें भाव या वृश्चिक राशि में बैठा हो तो जातक को मकान नहीं बनवाना चाहिए।

शनि दसवें भाव या मकर राशि में बैठा हो तथा वक्री हो या कुंडली के लिए अशुभ हो तो आश्चर्यजनक रूप से जातक को मकान बनाने के लिए काफी धन देगा। शनि मार्गी हो तो कई मकानों का मालिक बना देगा।

शनि ग्यारहवें भाव में या कुंभ राशि में बैठा हो तो जातक अपना मकान 55 साल का होने पर ही बनवा पाएगा। उसके मकान का प्रवेश द्वार दक्षिण में होगा।

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गोचर प्रभाव : जब शनि गोचर में राहू-केतु धुरी से शुभ खाने में हो या राहू-केतु पर शनि की शुभ दृष्टि पड़े या शनि, राहू अथवा केतु के साथ किसी खाने में आए तो उस अवधि में मकानों का निर्माण बहुत तेज हो जाता है। इसके विपरीत यदि राहू-केतु अक्ष और शनि के बीच गोचर में अशुभकारी दृष्टि या संगति संबंध बन जाएं तो उस गोचर अवधि में मकानों का निर्माण रुक जाता है और पहले से बने हुए मकान भी बिकने लगते हैं। इस अवधि में घरों का विनाश भी होने लगता है।

शुभ नक्षत्र: व्यक्ति यदि अपने जन्म नक्षत्र के ही गोचर काल में मकान-निर्माण कराए तो वह मकान उसके लिए शुभ रहता है। इस प्रकार से घर निर्माण कराने के बाद मकान के मुहूर्त के समय व्यक्ति को गरीबों में नकद दान, उपहार और मिठाइयां बांटनी चाहिएं।

शुभ दशा: गृह निर्माण की शुरूआत दशा कुंडली में कोई शुभ लग्न देखकर करनी चाहिए। नींव की खुदाई शुरू करने से पहले भूखंड में चारों दिशाओं में पानी छिड़क लेना चाहिए। इसके बाद एक बर्तन में विभिन्न प्रकार की खाद्य वस्तुएं, मेवे आदि भरकर भूखंड के बीचों-बीच एक गड्ढा खोदकर उसमें 40-43 दिन की अवधि के लिए दबा देना चाहिए। ये वस्तुएं चंद्रमा के लिए भेंट होती हैं।

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