जानें, कौन सा ग्रह है आपसे नाराज़

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Apr, 2019 09:46 AM

know which planet is angry with you

जन्म कुंडली में अगर लग्र का स्वामी निर्बल हो तो व्यक्ति सदा बीमारी और विपत्ति का शिकार रहेगा, ऐसी स्थिति में लग्र से संबंधित रत्न, व्रत, पूजा-पाठ आदि से उसे विशेष लाभ प्राप्त होगा। अगर कोई

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जन्म कुंडली में अगर लग्र का स्वामी निर्बल हो तो व्यक्ति सदा बीमारी और विपत्ति का शिकार रहेगा, ऐसी स्थिति में लग्र से संबंधित रत्न, व्रत, पूजा-पाठ आदि से उसे विशेष लाभ प्राप्त होगा। अगर कोई ग्रह बलवान होकर रोग दे रहा है तो उससे संबंधित रत्न कभी धारण न करें। प्रत्येक रत्न किसी न किसी ग्रह द्वारा आधिकारिक होता है जैसे:-
सूर्य :     माणिक
चन्द्र :    मोती
मंगल :  मूंगा
बुध :     पन्ना
गुरू :     पुखराज
शुक्र :    हीरा
शनि :   नीलम
राहू :    गोमेद
केतु :    लहसुनिया 

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विभिन्न रोगों के योग 
बुध जब तीसरे स्थान के स्वामी के साथ हो तो गले में खराबी होती है।

अष्टम भाव में कोई तीन ग्रह पाप प्रभाव में हों तो जातक गुप्त रोग से पीड़ित होता है।

बुध और शुक्र किसी स्थान पर एक साथ हों और उन पर कोई पाप दृष्टि पड़ रही हो तो जातक गुप्त रोग का शिकार होता है ।

पांचवें भाव में या लग्र में राहू हो तो जातक के दांत कमजोर होते हैं।

लग्र में सूर्य हो तो जातक को दाद रोग होता है।

शनि, बुध, मंगल लग्र में हो या चन्द्र से राहू छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो जातक को मिर्गी रोग की संभावना रहती है।

बुध, शनि से पीड़ित हो तो जातक को मिर्गी रोग होता है।

लग्र और सूर्य पर शनि व राहू की दृष्टि हो तो मिर्गी रोग होता है।

यदि कर्क राशि में मंगल हो और उस पर शनि की दृष्टि हो तो जातक दमा रोग से पीड़ित होता है।

लग्र का स्वामी और शनि दोनों यदि छठे, आठवें, बारहवें भाव में हो तो जातक दमा रोग से पीड़ित होता है।

पांचवें भाव में शनि हो तो भूख ज्यादा लगती है।

पांचवें स्थान में केतु हो तो पेट मे कीड़े होते हैं और पाचन शक्ति खराब रहती है।

पांचवें भाव में शनि, मंगल, राहू, एक साथ हों तो पेट में अल्सर होता है।

चन्द्रमा सिंह राशि में पाप प्रभाव से पीड़ित हो तो आंतों का दर्द रहता है।

दूसरे स्थान व बुध पाप ग्रहों से पीड़ित हो तो जातक की वाणी में दोष होता है अर्थात व्यक्ति हकलाकर बोलता है।

सूर्य या चन्द्र बारहवें या दूसरे भाव में राहू, शनि, मंगल आदि ग्रहों से पीड़ित हो तो व्यक्ति को नेत्र रोग होते हैं।

चन्द्रमा और बुध, मंगल अथवा शनि से तृतीय या एकादश भाव में हो तो जातक को कानों के रोग होते हैं।

मिथुन और मंगल का योग तृतीय, पंचम, छठे, नवम, एकादश, द्वादश भाव में हो तो कानों के रोग होते हैं।

यदि चतुर्थ और पंचम भाव में  पाप ग्रह या पाप प्रभाव हो तो व्यक्ति को हार्ट अटैक होता है।

सूर्य हृदय का कारक होता है, यदि सूर्य पाप ग्रहों से पीड़ित हो तो हार्ट अटैक होता है।

लग्र व दूसरे भाव अथवा चन्द्रमा पर शनि व राहू की दृष्टि हो तो जातक शराबी होता है।

जन्म कुंडली में सप्तम भाव, तुला राशि और शुक्र पीड़ित हो तो जातक की किडनी खराब रहती है।

शुक्र छठे भाव में हो और गुरु बारहवें भाव में स्थित हो तो शूगर की बीमारी होती है। 

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