होने वाली है कुंभ मेले की शुरुआत, जानें शाही स्नान की मुख्य तिथियां

Edited By Jyoti,Updated: 04 Feb, 2021 08:12 PM

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11 मार्च 2021 को महाशिवरात्रि पर्व के दिन इस वर्ष के कुंभ मेले का आयोजन होगा। हिंदू धर्म में इसे किसी त्यौहार से कम नहीं माना जाता। शास्त्रों में कुंभ का शाब्दिक अर्थ कलश बताया जाता है, जिसका तात्पर्य अमृत कलश से है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
11 मार्च 2021 को महाशिवरात्रि पर्व के दिन इस वर्ष के कुंभ मेले का आयोजन होगा। हिंदू धर्म में इसे किसी त्यौहार से कम नहीं माना जाता। शास्त्रों में कुंभ का शाब्दिक अर्थ कलश बताया जाता है, जिसका तात्पर्य अमृत कलश से है। इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब अमृत कलश निकला था, तब उसे पाने के लिए देवताओं और असुरों में 12 दिनों तक युद्ध हुआ, जिस दौरान अमृत कलश की छीना-छपटी के दौरान अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर 4 स्थानों गिरीं थी। वो 4 स्थान थे प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन थे। 

ऐसा कहा जाता है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने कुंभ मेले की शुरूआत की थी ताकि मनुष्यों को भी अमृत तव्व का लाभ मिल सके। यही वजह है इन चारों शहरों की पवित्र नदियों के किनारे कुंभ मेले का आयोजन होता है, जिसमें न केवल देश के बल्कि विदेशों से भी लोग आकर न केवल शामिल होते हैं बल्कि पावन नदियों में स्नान करते हैं। 

आपकी जानकारी के लिए एक बार फिर बता दें कि कुंभ मेला लगहग 48 दिनों तक चलता है। इस मेले का आयोजन साल में प्रत्येक 3 साल के अंतराल पर प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में क्रमशः होता है। हरिद्वार में गंगा के तट पर उज्जैन में शिप्रा नदी तट पर, नासिक में गोदावरी नदी के तट पर और प्रयागराज में गंगा, युमना और सरस्वती के संगर पर कुंभ मेले का आयजन होता है। 

हरिद्वार कुंभ: जब सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं तब यहां कुंभ का आयोजन होता है।

प्रयाग कुंभ: सूर्य मकर राशि में तथा बृहस्पति वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं, तो कुंभ मेले लगता है। 

नासिक कुंभ: जिस समय बृहस्पति और सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है, तो नासिक में कुंभ का आयोजन होता है।

उज्जैन कुंभ: सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश कर जाता है, उस वक्त उज्जैन में कुंभ मेले का आयोजन होता है, जिसे सिंहस्थ कुंभ भी कहा जाता है।

2021 के शाही स्नान
पहला शाही स्नान: 11 मार्च, दिन गुरुवार, शिवरात्रि के दिन।
दूसरा शाही स्नान: 12 अप्रैल, दिन सोमवार, सोमवती अमावस्या के दिन।
तीसरा मुख्य शाही स्नान: 14 अप्रैल, दिन बुधवार, मेष संक्रांति के दिन।
चौथा शाही स्नान: 27 अप्रैल, दिन मंगलवार, बैसाख पूर्णिमा के दिन।
 

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