Kundli Tv- कुंडली के इन दोषों का सफाया कर सकते हैं ये उपाय

Edited By Jyoti,Updated: 09 Oct, 2018 02:09 PM

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ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार मंगल, शनि, राहु और क्षीण चंद्रमा पापी ग्रह हैं। इनमें से कोई भी लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भाव में हो अथवा इन भावों को देखता हो तो मांगलिक दोष होता है।

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ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार मंगल, शनि, राहु और क्षीण चंद्रमा पापी ग्रह हैं। इनमें से कोई भी लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भाव में हो अथवा इन भावों को देखता हो तो मांगलिक दोष होता है। जातक की जन्मकुंडली में लग्र, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भावों का विशेष महत्व है। प्रथम भाव यानी लग्र जातक के शारीरिक गठन, कद-काठी, रंग-रूप, शारीरिक शक्ति और स्वास्थ्य का कारक है। इस भाव के पीड़ित होने पर जातक के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। स्वास्थ्य खराब होने के कारण जातक का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। वह उग्र स्वभाव वाला हठी हो जाता है।
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चतुर्थ भाव मातृत्व का भाव होता है। इस भाव के पीड़ित होने पर जातक जीवन-उपयोगी सामग्री के लिए तरस जाता है और अभाव में सौ अनर्थों का एक अनर्थ होता है। इससे जातक के जीवन में दुख-दैन्य भर जाता है। सप्तम भाव विवाह, दाम्पत्य सुख, संतान और परिवार का कारक है। विवाह की दृष्टि से यह भाव सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। यदि इस भाव में पापी ग्रह बैठे हों या पापी ग्रह इस भाव को देखते हों तो विवाहित जीवन सुखमय नहीं होता। पति-पत्नी को एक-दूसरे से संतुष्टि नहीं मिलती। परिवार में तरह-तरह के अमंगल होते हैं जिससे पारिवारिक जीवन का सुख विषाद में बदल जाता है।
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अष्टम भाव आयु और शांति का कारक होता है। इसके पीड़ित होने पर जातक का जीवन चिंताओं से भर जाता है। उसे जीवन में शांति नसीब नहीं होती। द्वादश भाव में पापी ग्रह स्थित हो या इसे देखता हो तो आय से अधिक व्यय होने से जातक की मानसिक परेशानियां बढ़ती हैं।

मांगलिक होने का अर्थ है कि मंगल के द्वारा उस भाव को बिगाड़ देना, परंतु मेष लग्न में मंगल स्वक्षेत्रीय होने पर मारक नहीं होता, हालांकि वह अष्टमेश होता है। कुंडली के लग्र, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भाव महत्वपूर्ण होते हैं। शनि, मंगल, राहु, क्षीण चंद्र पापी ग्रह हैं। यदि महत्वपूर्ण भावों में पापी ग्रह बैठे हों या देखते हों तो अशुभ प्रभाव देते हैं। मृत्यु तो उसी स्थिति में होती है, जब जातक की कुंडली में मांगलिकता के साथ-साथ अल्पायु योग हो या होने वाले जीवन-साथी की (पत्नी की) कुंडली में वैधव्य योग हो। शेष मामलों में अनिष्ट सामान्य होते हैं। मृत्यु नहीं होती है, इसलिए जन्मकुंडली में मंगल की स्थिति को देखकर ही  विशेष उपायों के साथ-साथ सामान्य उपाय भी करें। 
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मांगलिक दोष दूर करने के उपाय
यदि लग्र में मंगल, द्वितीय भाव में बुध तथा सप्तम, नवम एवं एकादश भाव खाली हो तो गुरुवार का व्रत करें। हरि की पूजा तथा पीपल को पानी दें। गोमेद पहनें या हल्दी का टुकड़ा पीले धागे में दाहिने बाजू पर बांधें। चांदी के बर्तन पर हल्दी का तिलक लगाकर रखें। ब्राह्मण, साधु, कुलगुरु तथा अध्यापकों की सेवा करें। पीले फूलों के पौधे लगाएं तथा गरुड़ पुराण का पाठ करें। पीतल, धातु, केसर, कुंकुम, हल्दी, चने की दाल का दान करें। किसी से दान या मदद लेना स्वीकार न करें। अपने भाग्य पर भरोसा करें। भूलकर भी हाथी दांत की बनी वस्तुएं न अपने घर में रखें न पहनें। ये वस्तुएं प्रबल हानिकारक हैं। 
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किसी भी वस्तु का मूल्य चुकाए बिना, किसी से भी कोई वस्तु न खरीदें क्योंकि मुफ्त की चीजें लेने से मंगल दोष प्रबल होने लगता है। झूठ कभी न बोलें। चांदी, हीरा, रत्न, कपूर, घी, दही, रुई, कपास) सुगंध देने वाले पौधों का व्यापार करने से जातक का सप्तम भाव सक्रिय होने लगेगा। जब तक जातक की उम्र 39 वर्ष न हो जाए, तब तक साधुओं की संगति न करें। यदि जातक की कुंडली के चतुर्थ भाव में स्थित मंगल दुष्फल देने लगे तो सुबह उठकर दांत साफ करें। शिवजी की आराधना करें। चांदी, चावल, दूध की वस्तुओं का दान करें। मां, मौसी और दादी मां की सेवा करें। घोड़ा एवं खरगोश पालें। यदि बच्चे न हों या होते ही मर जाते हों तो मिट्टी का छोटा-सा घड़ा शहद से भरकर श्मशान भूमि में दबा दें। लंबी बीमारी हो तो उससे बचने के लिए घर में मृग चर्म रखें। घर के दक्षिणी द्वार पर एक लोहे की कील जमीन के अंदर गाड़ दें, वह ऊपर से न दिखाई देती हो। पक्षियों को मीठी चीजें खिलाएं।
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यदि सप्तम भाव का मंगल दुष्प्रभाव देने लगे तो जब भी बहन-बेटी घर आए तो उसे मिठाई खिलाए बिना न जाने दें। दिन में गारे की कच्ची दीवार बनाएं और रात को उसे गिरा दें। भैरों की उपासना एवं पूजा करें। धातु, लोहा तथा इस्पात का व्यापार करें। कोयला, पत्थर, नमक, पीपरमैंट, दाल, उड़द छिलके वाली (साबुत दाल), सरसों के तेल का दान करें। भैंस, मछली, सांप, बिच्छू, कौआ, चमगादड़ को भोजन दें। चाचा की सेवा करें। बबूल एवं खजूर के वृक्षों की सेवा करें। अच्छे जूते, जुराब पहनें। यदि जन्मकुंडली में द्वादश भाव स्थित मंगल दुष्प्रभाव देने लगे तो जातक के बड़े भाइयों को मंगल के क्रोध से बचाने के लिए उन्हें लाल कपड़े न पहनने दें। वे लोग मंगल से संबंधित खिलौने घर में न लाएं। सिर पर चोटी रखें। खाकी पगड़ी या खाकी टोपी न पहनें।
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जातक के बड़े भाई दूध, चावल, चांदी, सफेद दूधिया मोती अपने पास रखें। माता, दादी, सास का आशीर्वाद लें। सुब-सुबह सूर्य को चीनी घुले हुए मीठे जल का अघ्र्य दें। मिठाई खाने, मिठाई खिलाने और मीठी वाणी बोलने से सुख-समृद्धि बढ़ेगी तथा मंगल की वस्तुएं (शहद, मिठाई, तांबा, रत्न मूंगा) एवं बुध की वस्तुएं (हरी सब्जियां, हरे रंग के कपड़े, चूडिय़ां) तथा शनि की वस्तुओं (जैसे कोयला-पत्थर, नमक, सरसों का तेल, खजूर) का दान करें। 
इस एक उपाय से भाग जाएंगे घर के सारे भूत (देखें Video)

 

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