Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Aug, 2018 02:08 PM
शास्त्रों के अनुसार सावन मास में किए गए किसी भी धर्म, कर्म एवं व्रत आदि का फल हजारों गुणा अधिक होकर मनुष्य को मिलता है। एकादशी प्रभु को अति प्रिय है इसलिए इस व्रत से प्रसन्न होकर प्रभु अपने भक्तों पर अपार कृपा करते हैं। वैसे तो प्रभु सदा ही अपने...
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शास्त्रों के अनुसार सावन मास में किए गए किसी भी धर्म, कर्म एवं व्रत आदि का फल हजारों गुणा अधिक होकर मनुष्य को मिलता है। कामदा एकादशी प्रभु को अति प्रिय है इसलिए इस व्रत से प्रसन्न होकर प्रभु अपने भक्तों पर अपार कृपा करते हैं। वैसे तो प्रभु सदा ही अपने भक्त के भाव को देखते हैं, वह भक्त की धन दौलत नहीं बल्कि उसकी निष्काम भक्ति पर रीझते हैं और बिना मांगे ही उस पर अपनी पूरी कृपा न्यौछावर कर देते हैं परंतु यदि कोई मनुष्य किसी विशेष कामना से प्रभु का व्रत करता है भगवान उसकी वह इच्छा भी तुरंत पूरी कर देते हैं। पापरुपी कीचड़ से भरे समुद्र में डूबे हुए प्राणियों को तारने के लिए कामिका एकादशी व्रत श्रेष्ठ नाव है। गंगा, काशी, नैमिषारण्य, एवं पुष्कर तीर्थ पर किए जाने वाले स्नान एवं पूजन से मिलने वाले दुर्लभ फल की प्राप्ति इस व्रत से होती है। पृथ्वी और दूध देने वाली गाय को आभूषणों सहित सजाकर दान करने के समान इस व्रत का पुण्यफल है।
रात्रि जागरण एवं दीपदान की महिमा:- जो मनुष्य एकादशी के दिन मंदिर में जाकर नियम से प्रात: और सांय दीपदान करता है उसके पुण्यफल की गिनती चित्रगुप्त भी नहीं कर सकते। भगवान श्रीकृष्ण के सामने जो दीपक जलाते हैं उनके पितर स्वर्गलोक में स्थित होकर अमृतपान से तृप्त होते हैं। इस दिन गाय के घी अथवा तिल के तेल से दीपदान करना चाहिए। रात्रि को जागरण करने वाले भक्त प्रभु को अति प्रिय होते हैं।
वीना जोशी
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