Kundli Tv- योगिनी एकादशी व्रत कथा सुनने और सुनाने वाले को मिलेंगे ढेरों लाभ

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Jul, 2018 08:49 AM

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जिस कामना से कोई भक्त योगिनी एकादशी का व्रत करता है, उसकी वह कामना बहुत जल्दी पूरी हो जाती है। वहीं जीव के सभी पापों एवं विभिन्न प्रकार के पातकों से भी छुटकारा मिलता है। किसी के दिए श्राप से मुक्ति पाने के लिए यह व्रत कल्पतरु के समान है।

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PunjabKesariजिस कामना से कोई भक्त योगिनी एकादशी का व्रत करता है, उसकी वह कामना बहुत जल्दी पूरी हो जाती है। वहीं जीव के सभी पापों एवं विभिन्न प्रकार के पातकों से भी छुटकारा मिलता है। किसी के दिए श्राप से मुक्ति पाने के लिए यह व्रत कल्पतरु के समान है। व्रत के प्रभाव से हर प्रकार के चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। एकादशी व्रत की कथा सुनने और सुनाने वाले को अठासी हजार ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बराबर पुण्यफल प्राप्त होता है।

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योगिनी एकादशी व्रत कथा- पद्मपुराण के अनुसार स्वर्गलोक में इन्द्र की अलकापुरी में यक्षों का राजा कुबेर रहता था। शिवभक्त कुबेर के लिए प्रतिदिन हेम नामक माली अर्धरात्रि को फूल लेने मानसरोवर जाता और प्रात: राजा कुबेर के पास पहुंचता था। एक दिन हेममाली रात्रि को फूल तो ले आया परंतु वह अपनी पत्नी विशालाक्षी के प्रेम के वशीभूत होकर घर में विश्राम के लिए ही रुक गया। प्रात: राजा कुबेर के पास भगवान शिव की पूजा करने के लिए फूल न पहुंचे तो राजा ने अपने सेवकों को कारण बताने के लिए हेममाली को बुलाकर लाने का आदेश दिया। हेममाली को राजा कुबेर ने क्रोध में आकर श्राप दे दिया कि तुझे स्त्री वियोग सहन करना पड़ेगा तथा मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होना पड़ेगा। कुबेर के श्राप से हेममाली स्वर्ग से पृथ्वी पर जा गिरा और उसी क्षण कोढ़ी हो गया। भूख प्यास से दुखी होकर भटकते हुए एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा तथा राजा कुबेर से मिले श्राप के बारे में उन्हें बताया। हेममाली की सारी विपदा को सुनते हुए मार्कण्डेय ऋषि ने उसे आषाढ़ मास की योगिनी एकादशी का व्रत सच्चे भाव तथा विधि-विधान से करने के लिए कहा। हेममाली ने व्रत किया तथा उसके प्रभाव से उसे राजा कुबेर के श्राप से मुक्ति मिली तथा अंत में वह सुखपूर्वक रहने लगा।

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वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com

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