Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Mar, 2018 12:06 PM
सपने पूरे आज मां के दर से पाएं! मैयां सिद्धिदात्री के द्वारे जाएं!! निष्ठा से आशा की ज्योत जलाएं!मैया सत्कर्मों का बोध कराती!! आओ हमसब रल-मिल उतारें! नवम् नवरात्र मां की आरती!!!आसन कमल का मैया को भाता! दर मैया का मन को महकाता!! शंख, गदा, चक्र, पुष्प...
सपने पूरे आज मां के दर से पाएं!
मैयां सिद्धिदात्री के द्वारे जाएं!!
निष्ठा से आशा की ज्योत जलाएं!
मैया सत्कर्मों का बोध कराती!!
आओ हमसब रल-मिल उतारें!
नवम् नवरात्र मां की आरती!!!
आसन कमल का मैया को भाता!
दर मैया का मन को महकाता!!
शंख, गदा, चक्र, पुष्प भुजाओं में!
फैली सुगंध सारी फिजाओं में!!
देवलोक तक होता तेरा गुणगान!
करती रिद्धि-सिद्धियां तू प्रदान!!
स्वर्ग-सा तेरा मां सजा दरबार!
भर रही खुशियों के तू भंडार!!
होती प्रसन्न, लिखे नाम तेरे पाती!
उतारें मैया सिद्धिदात्री की आरती!!!
नवदुर्गा रूपों में नवम् रूप है!
शीतल छाया, चांदनी का स्वरूप है!!
कराती तू आलौकिकता के दर्शन!
महक उठे भक्तों का चितवन!!
देती मोह माया से मां विरक्ति!
तेरी भक्ति में सच की शक्ति!!
करें अॢपत श्रद्धा, अमृतरस पिलाए!
हजारों भक्त खड़े शीश नवाए!!
धर्म-कर्म का मर्म तू सिखलाती!
उतारें मैया सिद्धिदात्री की आरती!!!
कहे ‘झिलमिल’ अम्बालवी कवि!
कर देना क्षमा मां भूल हमारी!!
हम हैं तेरी आरतियों के रचयिता!
सारी दुनिया में लाखों पुजारी!!
हे दुर्गा मां, वैष्णो मां, त्रिकुटा पहाड़ों वाली!
करे सारे जग की रखवाली!!
देना हमें महाज्ञान, आन-बान-शान!
करोड़ों समूह पाठकों को अभयदान!!
कतारें दर पे लाल झंडे लहराती!
उतारें मैया सिद्धिदात्री की आरती!!!