पाश्चात्य-भारतीय ज्योतिष से जानें जन्म-मास के अनुसार भविष्य

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Apr, 2018 02:21 PM

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जन्म तारीख से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कौन-कौन सा वर्ष अच्छा और महत्वपूर्ण जाएगा, किन्तु कुछ फल ऐसे होते हैं जो सूर्य जिस राशि में जन्म के समय हो उसके अनुसार घटित होते हैं। एक वर्ष के अंदर सूर्य 12  राशियों में भ्रमण कर लेता है और एक वर्ष के...

जन्म तारीख से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कौन-कौन सा वर्ष अच्छा और महत्वपूर्ण जाएगा, किन्तु कुछ फल ऐसे होते हैं जो सूर्य जिस राशि में जन्म के समय हो उसके अनुसार घटित होते हैं। एक वर्ष के अंदर सूर्य 12  राशियों में भ्रमण कर लेता है और एक वर्ष के बाद 12 राशियों में घूम कर फिर पहली राशि में आ जाता है। इसका कारण यह है कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है और जैसे गोल चक्कर में घूमता हुआ मनुष्य फिर चक्कर पूरा होने पर अपने स्थान पर आ जाता है उसी प्रकार पृथ्वी भी 365 दिन 6 घंटा 1 मिनट 12 सैकेंड में घूमकर वहीं आ जाती है। वास्तव में चक्कर तो लगाती है पृथ्वी किन्तु लगता ऐसा है कि सूर्य पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगा रहा हो। 


इस एक साल के समय को 12 हिस्सों में बांटा गया है। पंजाब तथा बंगाल में बैसाखी या प्रथम वैशाख से वर्ष का प्रारंभ मानते हैं। इस दिन सूर्य पहली राशि (विभाग) के प्रारंभ बिंदु पर होता है। फिर करीब एक-एक महीने, एक-एक हिस्से या राशि में रहता है, किन्तु 365 दिन 6 घंटे 1 मिनट 12 सैकेंड को 12 से भाग दिया जाए तो प्रत्येक राशि या हिस्से में 30 दिन से अधिक समय आएगा।


वास्तव में है भी ऐसा ही। पहला, दूसरा, तीसरा, दसवां, ग्यारहवां, बारहवां, सूर्य के ये 6 महीने कुछ छोटे होते हैं। प्रत्येक करीब 30 दिन का। बाकी के 6 महीने कुछ बड़े होते हैं। इस संबंध में विष्णु पुराण तथा श्रीमद् भागवत में द्वादश सूर्य के नाम तथा अधिकारियों का वर्णन किया गया है।


अमुक मास में पैदा होने वाले व्यक्तियों का गुण-कर्म, स्वभाव, ऐसा होगा इस सब का बहुत अधिक विचार अंग्रेजी ज्योतिषियों ने किया है। पिछले 31 वर्षों में हमने इस विषय की अनेक पुस्तकों का अवलोकन कर जब फलादेश मिलाया तो देखा कि कोई-कोई बात तो विलक्षण रूप से ठीक बैठती है परंतु कोई-कोई नहीं मिलती। 


इसका कारण यह है कि इन सब पुस्तकों में सूर्य किस राशि में है, इस आधार पर फल दिया हुआ रहता है किन्तु सूर्य के अतिरिक्त चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतू, हर्षल, नेपच्यून, जन्म लग्न आदि के अनुसार भी गुण कर्म, स्वभाव, भाग्योदय  आदि में परिवर्तन होता है। पाश्चात्य ज्योतिष तथा भारतीय ज्योतिष में एक और अंतर है। सूर्य करीब-करीब एक महीना प्रत्येक राशि में रहता है यह मत तो दोनों में समान है, किन्तु किस तारीख से किस तारीख तक किस राशि में रहता है, इस संबंध में दोनों के पृथक-पृथक मत हैं।


पाश्चात्य तथा भारतीय ज्योतिष में भिन्नता सायन तथा निरयन गणना के कारण है। यहां हमने भारतीय ज्योतिष के आधार पर फल दिया है। 


भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य के प्रथम राशि में होने का जो फल 13 अप्रैल से 12 मई तक जन्म लेने वालों का दिया गया है वही पाश्चात्य मत के अनुसार उन लोगों पर लागू होना चाहिए जिनका जन्म 21 मार्च से 20 अप्रैल तक हुआ हो। इसी प्रकार भारतीय तथा पाश्चात्य ज्योतिष की तारीखों का अंतर आगे की राशियों में भी पड़ जाता है जो यहां दिए गए विवरण से स्पष्ट हो गया होगा।


इस संबंध में एक बात की ओर ध्यान दिलाया जाता है। वह यह है कि ऊपर जो तारीखें दी गई हैं वे करीब-करीब ठीक हैं किन्तु कभी तो 13 तारीख को संक्रांति होती है, कभी 14 तारीख को। 


इस कारण एक दिन का अंतर कभी-कभी पड़ जाता है। इसलिए जिनकी जन्म तारीख बिल्कुल संक्रांति (जिस दिन सूर्य बदलता है) के दिन पड़े, उन्हें उस साल के पंचांग से निश्चय करना चाहिए कि सूर्य किस राशि में है।


अंग्रेज ज्योतिषियों ने मास के अनुसार भी शुभ अंक आदि दिए हैं। वे आगे के प्रकरण में मास फलानुसार दे दिए गए हैं किन्तु हमारे विचार से तृतीय प्रकरण में जन्म तारीख के अनुसार जो शुभ अंक आदि दिए गए हैं वे अधिक ठीक बैठते हैं।


यदि आपका जन्म 13 अप्रैल और 12 मई के बीच हुआ है पंजाब तथा बंगाल में जन्म की तारीख एक बैसाख से लेकर 30 बैसाख तक हो तो यह फल मिलेगा। यदि आपको अंग्रजी जन्म की तारीख मालूम नहीं हो तो जिस साल आपका जन्म हुआ है, उस साल की जन्त्री लेकर देखिए।


ऐसे व्यक्ति में अभिमान, उदारता, साहस आदि गुण विशेष पाए जाते हैं। धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ कलात्मक प्रवृत्तियां (सुंदरता की वस्तुओं की परख, सिनेमा, राग रंग, चित्रकारी आदि से प्रेम) भी होती हैं। चतुराई और व्यापारिक कुशलता के साथ-साथ दृढ़ता और दूसरे से मुकाबला करने का हौसला भी होता है।


साहस के कामों में (यथा सैनिक या पुलिस विभाग) ऐसे व्यक्ति बहुत शीघ्र उच्च पद प्राप्त करते हैं और खेल-कूद तथा शिकार के शौकीन होते हैं। किसी भी स्थान पर जहां हुकूमत करने का काम हो या मशीन, अग्रि, भट्टी (लोहा या अन्य धातुओं का ढालना या तपाना आदि) में उन्हें विशेष सफलता मिलती है।


इन व्यक्तियों को बहुत शीघ्र क्रोध आ जाता है और फिर शीघ्र ही शांत हो जाते हैं। इन व्यक्तियों का सहसा प्रेम संबंध हो जाता है परंतु बहुत स्थायी नहीं रहता। इनके धार्मिक और राजनीतिक विचार बड़े आवेश युक्त होते हैं परंतु स्थायी नहीं होते। किसी कार्य को प्रारंभ करते समय तो ये लोग बहुत ध्यान देते हैं परंतु कार्य की समाप्ति तक ध्यान की कमी हो जाती है। इन लोगों की आर्थिक स्थिति परिवर्तनशील होती है। (कभी द्रव्य काफी मात्रा में रहा तो कभी तंगी का सामना करना पड़ा।)


जमीन-जायदाद का योग भी होता है। कभी-कभी जायदाद (मकान आदि) विवाह से (पति या पत्नी) द्वारा प्राप्त होती है। स्त्रियों के कृपा पात्र होने के कारण काफी लाभ होता है और व्यापार में भी, सांझेदारी के कार्यों में भाग्योदय होता है। 


भाई-बहनों का सुख कम होता है। बाल्यावस्था में कुटुम्ब में कुछ ऐसी कठिनाइयां हों जिनके कारण मार्ग में रुकावट पड़े। आधी रात के बाद और दोपहर से पहले इन 12 घंटों में जिसका जन्म हो उसको पिता का सुख मध्यम रहेगा।


ऐसे जातकों को भ्रमण (सैर-सपाटे, दूसरे स्थानों पर घूमने जाना) बहुत प्रिय होता है और कभी-कभी कौटुम्बिक परिस्थितियों के कारण या शत्रुओं से बचने के लिए बाहर जाना पड़ता है। पहाड़ पर चढऩे या हवाई जहाज द्वारा यात्रा के भी अवसर होते हैं। 7, 19, 30, 44 इन वर्षों में जातक के कुटुम्ब में या स्वयं को क्लेश का अवसर होता है। अपनी अदूरदर्शिता के कारण जातक अपनी आयु को अल्प करता है। अपने पति या अपनी पत्नी के साथ झगड़े के काफी अवसर होते हैं और अपने स्वभाव की गर्मी के कारण नाइत्तेफाकी हो जाती है। विवाह प्राय: कम अवस्था में होता है और संतान सुख साधारण होता है। ऐसे व्यक्ति उच्च पद पर पहुंचते हैं परंतु बहुत संघर्ष का सामना करना पड़ता है। सेना विभाग, वकालत, खान (खनिज-पदार्थ), इंजीनियरिंग आदि के कामों में विशेष सफलता मिलती है। ऐसे व्यक्तियों के मित्र भी बहुत होते हैं और यदि जन्म दोपहर के बाद तथा आधी रात से पहले हुआ हो तो मित्रों की सहायता द्वारा जातक उच्च पद पर पहुंचता है।


ईर्ष्या के कारण ऐसे जातक के शत्रु अवश्य उत्पन्न होंगे परंतु विशेष हानि करने में असफल होंगे। ऐसे व्यक्तियों को सिरदर्द, ज्वर या सिर में चोट लगने की आशंका रहती है। पेट का विकार तथा अधिक अवस्था में गुर्दे की बीमारी और अधिक रक्तचाप की आशंका होगी। 


वराहमिहिर के मतानुसार इस समय सूर्य मेष राशि में होने से जातक चतुर, अल्पवित्त और साहसी (अस्त्र, शास्त्र धारण करने वाला) होता है। यदि 23 अप्रैल को जन्म हो तो बहुत उच्च पद पर पहुंचता है। सारावली के अनुसार जातक शास्त्र द्वारा, कलापटुता से किंवा अन्य उत्कृष्ट कार्यों से प्रसिद्धि प्राप्त करता है। युद्ध का शौकीन और प्रचंड स्वभाव का होता है। उसकी हड्डियों की कोठी मजबूत होती है और भ्रमण (घूमने-फिरने) का शौकीन होता है। वह श्रेष्ठता को प्राप्त होता है।


अंग्रेज ज्योतिषियों के अनुसार लाल रंग, मंगलवार तथा 9 की संख्या इनके लिए शुभ है, किन्तु प्रतिवर्ष जब सूर्य मेष राशि में रहता है तब अन्य ग्रहों की युति तथा दृष्टि से उपर्युक्त फलादेश में तारतम्य होना स्वाभाविक है।
 

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