Edited By Jyoti,Updated: 03 Jun, 2018 11:22 AM
गौतम बुद्ध, मगध राज्य, राजा प्रसदियों में गौतम बुद्ध मगध राज्य के एक गांव में ठहरे हुए थे। वहीं सुदास नाम का एक जूते बनाने वाला रहता था जिसकी झोंपड़ी के पीछे एक पोखर था। एक सुबह सुदास अपने पोखर से पानी लेने गया तो देखा कि वहां कमल का एक बेहद खूबसूरत...
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गौतम बुद्ध, मगध राज्य, राजा प्रसदियों में गौतम बुद्ध मगध राज्य के एक गांव में ठहरे हुए थे। वहीं सुदास नाम का एक जूते बनाने वाला रहता था जिसकी झोंपड़ी के पीछे एक पोखर था। एक सुबह सुदास अपने पोखर से पानी लेने गया तो देखा कि वहां कमल का एक बेहद खूबसूरत फूल बेमौसम खिला हुआ था। उसने अपनी पत्नी को पुकारा, ‘‘देखो, रात तक पोखर में कहीं एक कली भी न थी, सुबह इतना सुंदर कमल खिला हुआ है।’’ सुदास की पत्नी धर्मपरायण थी।
उसने सुदास से कहा, ‘‘हो न हो, बुद्ध जरूर तालाब के निकट से गुजरे होंगे।’’
फूल देख़कर सुदास ने सोचा कि वह इसे राजा प्रसेनजित को देगा। इससे उसे मुंह मांगा मूल्य भी मिल जाएगा। सुदास उसे लेकर राजमहल गया। वहां जाते वक्त राजपथ पर उसे एक और सज्जन मिल गए, जिन्होंने एक माशा स्वर्ण देकर वह फूल ख़रीद लिया। ठीक उसी वक्त राजा प्रसेनजित भगवान बुद्ध के दर्शन के लिए जा रहे थे। उन्होंने फूल देखकर उसका मूल्य पूछा तो सुदास ने बताया कि वह तो उसे एक माशा स्वर्ण में पहले ही बेच चुका है। राजा ने कहा कि वह इस फूल के लिए 10 माशा स्वर्ण देने के लिए तैयार हैं। थोड़ी देर में फूल का मूल्य 10 से 20 माशा हो गया।
जब राजा ने फूल का मूल्य 40 माशा स्वर्ण देने की बात कही, सुदास ने दोनों से क्षमा मांगते हुए फूल वापस ले लिया और एक माशा स्वर्ण उन सज्जन को वापस कर दिया। फिर वह फूल लेकर खुद महात्मा बुद्ध के पास गया और उसे उनके चरणों में अर्पित कर दिया।
बुद्ध ने सुदास से पूछा, ‘‘क्या चाहते हो?’’
सुदास बोला, ‘‘भगवन, पुष्प के बदले में लालच तो बहुत मिला लेकिन असल कामना मुझे आपके आशीर्वाद की ही है। मैं आपके आशीर्वाद की महत्ता समझ गया हूं।’’
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