चैत्र नवरात्रि: आखिरी नवरात्रि के दिन करें मां छिन्नमस्तिका के Live दर्शन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Mar, 2018 09:16 AM

नवरात्रि में विशेष तौर पर मां के विभिन्‍न स्‍वरूपों की पूजा का विधान है लेकिन अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं की पूजा का विशेष महत्‍व बताया गया है। इन शक्तिपीठों की काफी मान्यता है, इनमें से एक है मां चिंतपूर्णी धाम। चिंतपूर्णी मंदिर भारत के प्रमुख...

नवरात्रि में विशेष तौर पर मां के विभिन्‍न स्‍वरूपों की पूजा का विधान है लेकिन अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं की पूजा का विशेष महत्‍व बताया गया है। इन शक्तिपीठों की काफी मान्यता है, इनमें से एक है मां चिंतपूर्णी धाम। चिंतपूर्णी मंदिर भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक और भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक है। पंजाब केसरी ग्रुप आपको अष्टम नवरात्र पर मां चिंता हरणी के लाइव दर्शन करवा रहा है। चिंतपूर्णी शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित है जिसके उत्तर में पश्चिमी हिमालय और पूर्व में शिवालिक श्रेणी है जो पंजाब राज्य की सीमा पर है। चिंतपूर्णी शक्तिपीठ को मां छिन्नमस्तिका देवी मंदिर भी कहा जाता है।


कथा
कहा जाता है जब भगवान विष्णु ने मां सती के जलते हुए शरीर के 51 हिस्से कर दिए थे तब जाकर शिव जी का क्रोध शांत हुआ था और उन्होंने तांडव करना भी बंद कर दिया था। भगवान विष्णु द्वारा किए गए देवी सती के शरीर के 51 हिस्से भारत उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में जा गिरे थे। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर देवी सती का पैर गिर था और तभी से इस स्थान को भी महत्वपूर्ण 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाने लगा।


चिंतपूर्णी में निवास करने वाली देवी को छिन्नमस्तिका के नाम से भी जाना जाता है।  मार्केंड्य पुराण के अनुसार, देवी चंडी ने राक्षसों को एक भीषण युद्ध में पराजित कर दिया था परन्तु उनकी दो योगिनियां (जया और विजया) युद्ध समाप्त होने के पश्चात भी रक्त की प्यासी थी, जया और विजया को शांत करने के लिए की देवी चंडी ने अपना सिर काट लिया और उनकी खून प्यास बुझाई थी। इसलिए वो अपने काटे हुए सिर को अपने हाथो में पकडे दिखाई देती है, उनकी गर्दन की धमनियों में से निकल रही रक्त की धाराओं को उनके दोनों तरफ मौजूद दो नग्न योगिनियां पी रही हैं। छिन्नमस्ता (बिना सिर वाली देवी) एक लौकिक शक्ति है जो ईमानदार और समर्पित योगियों को उनका मन भंग करने में मदद करती है, जिसमें सभी पूर्वाग्रह विचारों, संलग्नक और प्रति दृष्टिकोण शुद्ध दिव्य चेतना में सम्मिलित होते हैं। सिर को काटने का अर्थ है मस्तिष्क को धड़ से अलग कारण होता है, जो चेतना की स्वतंत्रता है।


श्रद्धालुओं की माता रानी के प्रति बेहद आस्था
बता दें कि यहां कई श्रद्धालु मां चिंतपूर्णी के दरबार में दान के रूप में कई कार्य करवाते रहे हैं। मंदिर के गर्भ गृह की दीवारों पर मां के चांदी भक्तों द्वारा ही लगवाई गई थी। मंदिर अधिकारी अनुसार श्रद्धालुओं की माता रानी के प्रति बेहद आस्था है और श्रद्धालुओं द्वारा सोना-चांदी चढ़ाए जाते हैं व दान के रूप में कार्य भी करवाए जाते हैं।


शिवजी करते हैं छिन्नमस्तिका देवी की रक्षा
पौराणिक परंपराओं के अनुसार, शिव (रूद्र महादेव) जी छिन्नमस्तिका देवी की रक्षा चारों दिशाओं से करते हैं। ये चार शिव मंदिर निम्न है– पूर्व के कालेश्वर महादेव, पश्चिम के नारायण महादेव, उत्तर के मुचकुंद महादेव और दक्षिण के शिव बाड़ी। ये सभी मंदिर चिंतपूर्णी मंदिर से बराबर की दूरी पर स्थित हैं। कहा जाता है चिंतपूर्णी, देवी छिन्नमस्तिका का निवास स्थान है। प्राचीन काल में पंडित माई दास, एक सारस्वत ब्राह्मण, ने छपरा गांव में माता चिंतपूर्णी देवी के इस मंदिर की स्थापना की थी। उनके वंशज आज भी चिंतपूर्णी में रहते है और चिंतपूर्णी मंदिर में की पूजा-अर्चना आदि का आयोजन करते हैं। ये वंशज इस मंदिर के आधिकारिक पुजारी हैं।

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!