Lohri 2020- इस त्यौहार के साथ जुड़ी हैं ये दंत कथाएं

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Jan, 2020 09:17 AM

lohri 2020

सूरज के प्रकाश को पुनर्जीवित करने के लिए लोहड़ी की आग जलाई जाती है। लोहड़ी के त्यौहार का संबंध चाहे मूलरूप से मौसम के साथ जुड़ा है, परन्तु इस त्यौहार के साथ कई दंत कथाएं भी जुड़ी हुई हैं।

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Happy lohri: सूरज के प्रकाश को पुनर्जीवित करने के लिए लोहड़ी की आग जलाई जाती है। लोहड़ी के त्यौहार का संबंध चाहे मूलरूप से मौसम के साथ जुड़ा है, परन्तु इस त्यौहार के साथ कई दंत कथाएं भी जुड़ी हुई हैं।

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दुल्ला भट्टी
लोहड़ी का प्रसिद्ध गीत ‘सुंदर मुंदरिए’ मुगल सम्राट अकबर के समकालीन दुल्ला भट्टी के साथ जुड़ा हुआ है। जब कोई राजा किसी गरीब की लड़कियों सुंदरी और मुंदरी से जबरदस्ती विवाह करना चाहता है तो दुल्ला भट्टी जैसे योद्धे ने उन लड़कियों को राजा से बचाकर उनका विवाह करवा दिया था। यह वीर गाथा उस समय से चली आ रही है। इस वीर गाथा के साथ इस खुशी के त्यौहार को मनाया जाता है। 

PunjabKesariलोहड़ी मांगना
तीली हरी है भरी, 
तीली मोतियां जड़ी
तीली उस बेहड़े जा 
जित्थे गीगे दा व्याह 
गीगा जम्मेआ सी 
गुड़ वंडेआ सी
गुड़ दियां रोडिय़ां हो
भरावां जोडिय़ां हो
तुहाडी जोड़ी दा व्याह
सानूं फुलेयां दा चाह 
दे माई लोहड़ी 
तेरी जीवे जोड़ी 
लोहड़ी मिलन च देर होवे तां 
साडे पैरां हेठ रोड़ 
सानूं छेती-छेती तोर 

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पतंग मुकाबले
पतंगों को उड़ाने के लिए लोहड़ी और बसंत का त्यौहार समय अनुकूल माना जाता है। लोहड़ी के मौके पर पतंग मुकाबले होते हैं। एक-दूसरे की पतंगें काटी जाती हैं। बच्चे इस त्यौहार को लेकर खासे उत्साहित होते हैं। पंजाब, अमृतसर और फिरोजपुर में पतंगों के बड़े मुकाबले होते हैं। पाकिस्तान वाले पंजाब में भी पतंगें उड़ाई जाती हैं। आजकल जो चाइना डोर चल रही है उससे बच्चों को बचाने की जरूरत है। 

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लोहड़ी में अलाव और अग्नि परिक्रमा का महत्व 
लोहड़ी के कई दिनों पहले से कई प्रकार की लकडिय़ां इकट्ठी की जाती हैं, जिन्हें नगर के बीच एक स्थान पर रखा जाता है और लोहड़ी की रात को सभी अपनों के साथ मिलकर इन लकडिय़ों को जलाकर इसके आसपास बैठते हैं। कई गीत गाते हैं, खेल खेलते हैं, आपसी गिले-शिकवे भूल एक-दूसरे को गले लगाते हैं और लोहड़ी की बधाई देते हैं। इस लकड़ी के ढेर पर अग्नि देकर इसके चारों तरफ  परिक्रमा करते हैं और अपने लिए व अपनों के लिए दुआएं मांगते हैं। इस अलाव के चारों तरफ  बैठ कर रेवड़ी, गन्ने, गज्जक आदि का सेवन किया जाता है। लोग ढोल की थाप पर नाच-गाकर इस त्यौहार को खुशी-खुशी मनाते हैं।

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विवाह की लोहड़ी 
आजकल लड़कों के पहले विवाह की लोहड़ी भी मनाए जाने की रस्म है। इस मौके वही रस्में निभाई जाती हैं जो लड़के के जन्म के समय निभाई जाती हैं। घर-घर लोहड़ी बांटी जाती है और अलग-अलग पकवान बनते हैं। नवविवाहित जोड़ी को इकट्ठे रहने का आशीर्वाद दिया जाता है। यह भी आशीर्वाद दिया जाता है कि नवविवाहित जोड़ी के घर लड़के या लड़की का जन्म होने पर अगले साल फिर लोहड़ी मनाई और बांटी जाए। 

लड़के के जन्म पर लोहड़ी 
पंजाबी समाज में लड़के का जन्म होने पर बहुत खुशियां मनाई जाती हैं। रिश्तेदार, दोस्तों और मित्रों को घर बुलाकर बहुत बड़ा धूना लगाया जाता है। आग की पूजा की जाती है। इस मौके नवजन्मे लड़के की लम्बी उम्र की कामना की जाती है। अच्छी बात यह है कि आजकल लड़की के जन्म पर भी लोहड़ी मनाई जाती है और रिश्तेदार मिलकर खुशी मनाते हैं। 

लोहड़ी के पकवान 
लोहड़ी ठंडी ऋतु का त्यौहार है इसलिए मूंगफली, रेवडिय़ां, तिल-भुग्गा तथा मक्की के दाने खाए और बांटे जाते हैं। इस मौके पर लोग घरों में साग अवश्य बनाते हैं। गन्ने के रस से बनी खीर माघी के दिन खाई जाती है। इसके बारे यह कहा जाता है कि ‘पोह रिधी माघ खाधी’। ससुराल गई लड़कियों को भी लोहड़ी भेजने का रिवाज है। शहरों में गज्जक और रेवड़ियों का इस समय ज्यादा रिवाज है। 
 

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