Edited By Lata,Updated: 08 Jul, 2019 12:19 PM
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है और यह एकादशी इस बार 12 जुलाई दिन शुक्रवार को पड़ रही है।
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आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है और यह एकादशी इस बार 12 जुलाई दिन शुक्रवार को पड़ रही है। इस एकादशी से भगवान विष्णु चार माह के लिए सोने चले जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत होती है। इसी बीच सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। कहते हैं जो कोई व्यक्ति इस एकादशी का पालन कर लेता है तो श्री हरि उसकी सारी मनोकामना पूरी कर देते हैं। इस चातुर्मास में भगवान का भजन और पूजा-पाठ करने का अधिक महत्व बताया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जगत के पालनहार जब सो जाते हैं तो कौन इस सृष्टि को चलाता है? अगर नहीं तो चलिए आज हम इसके बारे में बताएंगे।
शिव संभालते हैं सृष्टि
जगत के पालन हार भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी पर चार माह के लिए सोने चले जाते हैं और उसके शिव परिवार करता है सृष्टि का पालन पोषण। जी हां, ये बात सच है कि शिव परिवार ही चार माह की अवधि में सृष्टि का संचालन करता है। शास्त्रों के अनुसार देवशयनी एकादशी के बाद श्रावण मास आता है जिसमें एक माह तक भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसके बाद आती है गणेश चतुर्थी। गणपति की स्थापना कर उनका पूजन किया जाता है तथा उसके पश्चात देवी दुर्गा की आराधना के नौ दिन शारदीय नवरात्रि आते हैं।
देवशयनी एकादशी का महत्व
पुराणों के अनुसार एकादशी का व्रत जो भी भक्त सच्चे मन से रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस एकादशी की कथा पढ़ने और सुनने से सहस्र गौदान के जितना पुण्य फल प्राप्त होता है और समस्त पापों का नाश हो जाता हैं। मृत्यु के बाद स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत में भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान बताया जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि भगवान इस एकादशी के बाद देवउठनी एकादशी पर ही जागते हैं।