Edited By Lata,Updated: 18 Apr, 2019 10:56 AM
इस बात से तो सब वाकिफ़ ही हैं कि भगवान श्री हरि को संसार का पालनहार माना जाता है। तो वहीं दूसरी ओर ब्रह्मा को सृष्टि के निर्माता
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इस बात से तो सब वाकिफ़ ही हैं कि भगवान श्री हरि को संसार का पालनहार माना जाता है। तो वहीं दूसरी ओर ब्रह्मा को सृष्टि के निर्माता और भोलेनाथ को संहार के रूप में जाना जाता है। भगवान विष्णु ने जगत के कल्याण के लिए धरती पर बहुत से अवतार लिए और उनका हर रूप मन को मोहित करने वाला था। पृथ्वी लोक में ऐसा माना जाता है कि हर व्यक्ति से कभी न कभी कोई न कोई गलती जरूर होती है और उसे उसकी सजा जरूर मिलती है। लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा होगा कि कभी भगवान को भी अपनी गलती की सजा मिल सकती है। अगर नहीं तो चलिए आज हम बताएंगे कि भगवान विष्णु का सिर किस गलती की वजह से कट गया था।
विष्णु पुराण में वर्णित एक प्रसंग के अनुसार भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर आराम कर रहे थे और उनके पास बैठी देवी लक्ष्मी उनके पैर दबा रहीं थीं। कुछ समय के बाद जब भगवान विष्णु ने आंखें खोली तो सामने बैठी देवी लक्ष्मी को देखकर हंसने लगे। उनको इस तरह हंसता देखकर देवी लक्ष्मी को लगा कि भगवान उनके रूप का मजाक उड़ा रहे हैं। इसलिए उन्होंने क्रोध में आकर भगवान को श्राप दे दिया कि आपका सिर धर से अलग हो जाएगा।
एक बार भगवान युद्ध के दौरान बहुत थक गए थे और उन्हें नींद आ रही थी। नींद में आकार उन्होंने अपने धनुष को धरती पर सीधा खड़ा किया और उसके दूसरे सिरे पर अपना सिर टिकाकर सो गए। इस दौरान स्वर्गलोक के सभी देवताओं ने एक यज्ञ किया। कहते हैं कि जब तक ब्रह्मा, विष्णु और महेश यज्ञ की आहुति को स्वीकार नहीं कर लेते तब तक यज्ञ पूरा नहीं होता है। देवताओं द्वारा आयोजित यज्ञ जब समाप्ति की ओर था, तब पुरोहितों ने देवताओं से आग्रह किया कि भगवान विष्णु को निद्रा से उठाएं अन्यथा यज्ञ पूरा नहीं हो पाएगा। तब देवताओं ने भगवान विष्णु को नींद से जगाने की भरपूर कोशिश की लेकिन वे नाकाम रहे। अंत में विवश होकर उन्होंने धनुष की डोरी काट दी। जिसके कारण भगवान विष्णु का सिर धड़ से अलग हो गया। अचानक हुए इस घटना से सारे विश्व में हाहाकार मच गया। जिसके बाद देवताओं ने आदि शक्ति से भगवान को दोबारा से जीवित करने की प्रार्थना करी।