Kundli Tv- गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा क्यों मानी जाती है खास

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Dec, 2018 11:57 AM

lord vishnu pujan

सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु त्रिदेवों में मुख्य भूमिका अदा करते हैं। धन की देवी लक्ष्मी सदा उनके चरणों में विराजित रहती हैं। अत : इनके भक्तों को कभी भी ऐश्वर्य और वैभव की कमी नहीं रहती।

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सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु त्रिदेवों में मुख्य भूमिका अदा करते हैं। धन की देवी लक्ष्मी सदा उनके चरणों में विराजित रहती हैं। अत : इनके भक्तों को कभी भी ऐश्वर्य और वैभव की कमी नहीं रहती। श्री हरी वैष्णव सम्प्रदाय के प्रमुख देव हैं। वैसे तो इनकी पूजा एकादशी और अनंत चतुर्दशी के दिन अधिक फलदायी होती है लेकिन गुरुवार का दिन भी इन्हें ही समर्पित है। इनकी पूजा करने वाले व्यक्ति को धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यदि आपके पास विधि-विधान से पूजा करने का वक्त न हो तो कम से कम सुबह-शाम आरती जरूर करें।
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भगवान विष्णु की आरती करने से पहले बोले ये मंत्र -
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्, वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।

आरती करने से पहले रखें ध्यान -
आरती का आरंभ करने से पूर्व मुंह ऊपर करते हुए 3 बार शंख बजाएं। शंख का स्वर पहले धीमे रखें, फिर धीरे-धीरे इसकी गति बढ़ाएं। आरती अगर अकेले कर रहे हैं तो घंटी एक लय में बजाते हुए आरती शुरू करें। यदि और भी सदस्य साथ हैं तो उन्हें ताली बजाने को कहें। वाद्य यंत्र बजाते हुए उच्चारण शुद्ध रखें। आरती के लिए जो दीपक रखें वह शुद्ध कपास यानी रूई से बना होना चाहिए। बत्तियाें की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारह या इक्किस रख सकते हैं। दीपक में तिल का तेल या शुद्ध गाय का बना घी इस्तेमाल करें।
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आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।
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सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे।
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तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
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स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वमी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे।

शाम सुंदर की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

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