Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Feb, 2018 05:27 PM
स्व का तंत्र पाने वाले को स्वतंत्र कहा गया है। लेकिन आखिर यह स्व का तंत्र है क्या इसके बारे में पूरी जानकारी किसी को नहीं है। तंत्र है तकनीक या ऐसी कुंजी जो आंतरिक संपदा के द्वार खोलें।
स्व का तंत्र पाने वाले को स्वतंत्र कहा गया है। लेकिन आखिर यह स्व का तंत्र है क्या इसके बारे में पूरी जानकारी किसी को नहीं है। तंत्र है तकनीक या ऐसी कुंजी जो आंतरिक संपदा के द्वार खोलें। यह कुंजी कहीं से बनी-बनाई नहीं मिलती बल्कि समस्त व्यक्ति को स्वयं के अंदर गढ़नी पड़ती है। जिसे यह तंत्र मिल गया वह जिंदगी के तमाम बंधनों के बीच रहकर आजाद रहता है। मानो कीचड़ में रहते हुए खिलने का राज उसने कमल से सीख लिया।
प्रेम निर्दोष तब होता है जब यह और कुछ नहीं बस ऊर्जा का बांटना होता है। तुम्हारे पास बहुत अधिक है, इसलिए तुम बांटना चाहते हो। जिसके साथ भी तुम बांटते हो, तुम उसके प्रति अनुग्रह महसूस करते हो। जो कोई भी तुम्हें प्रेम में बहने में मदद करता है, उसके प्रति अनुग्रह आता है। आत्मसात करने की वह भावना अपनी जीवन शैली बन जाने दो, बिना शर्त देने की क्षमता, तुम बस देते हो क्योंकि तुम्हारे पास प्रेम की अधिकता है।
अहंकार से बचने के लिए आत्मचिंतन जरूरी है। हमेशा यह सोचें कि जो चीज भी आपके पास है वह क्षणभंगुर है। परमात्मा का दिया हुआ उपहार है। यह भी सत्य है कि मूल्य और अच्छाइयां, धन, दौलत और ज्ञान सब परमात्मा की देन है। हमारा अपना कुछ है ही नहीं। फिर अभिमान करने को कोई मतलब नहीं है। यह गुण और शक्तियां, धन और ज्ञान लोगों की भलाई के लिए है। यदि यह भाव रहे तो अहंकार आपके पास आ भी नहीं सकता।