इस मुसलमान ने करवाया था उज्जैन के देवी मंदिर का निर्माण

Edited By Jyoti,Updated: 27 Apr, 2019 01:35 PM

maa bala sundri temple in ujjain

भारत में ऐसे कई देवी मंदिर है, जिनके निर्माण के कहानियों या कहें मान्यताएं अनोखी व अद्भुत है। मगर जिस मंदिर की हम आगे बात करने वाले हैं उस मंदिर का इतिहास औरंगजेब से जुड़ा हुआ है।

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भारत में ऐसे कई देवी मंदिर है, जिनके निर्माण के कहानियों या कहें मान्यताएं अनोखी व अद्भुत है। मगर जिस मंदिर की हम आगे बात करने वाले हैं उस मंदिर का इतिहास औरंगजेब से जुड़ा हुआ है। ये जानकर सबको हैरानी होगी कि लेकिन उज्जैन के चैती मंदिर का निर्माण औरंगजेब ने करवाया था। बता दें कि औरंगजेब का पूरा नाम अबुल मुज़फ़्फ़र मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर था जिसे आलमगीर के नाम से भी जाना जाता था। ये भारत पर राज्य करने वाला छठा मुग़ल शासक था। कहा जाता है कि एक मुस्लिम होने के बावज़ूद देवी के इस मंदिर के निर्माण में औरंगजेब का पूरा सहयोग रहा है। चलिए जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं और कुछ रोचक किस्से-

उज्जैनी शक्ति पीठ के नाम से प्रसिद्ध भगवती बाल सुंदरी का यह मंदिर देवी मां के शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जहां-जहां सती के अंग गिरे थे वहां शक्ति पीठ बने हैं। बाल सुंदरी मां का ये मंदिर भी इन्हीं में एक है।
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किंवदंती
किंवदंतियों के अनुसार एक बार की बात है कि कुमाऊं के राजा इस इलाके से गुज़र रहे थे तो उनके घोड़े के पैर से एक पत्थर को ठोकर लग गई। तब राजा ने अपने सिपाहियों से पत्थर को उखाड़ने के लिए कहा, पर वह राजा के समस्त सिपाही उसे उखाड़ने में असफल हुए थे।

इस दौरान लखीमपुर खीरी निवासी दो पंडित गयादीन और बंदी दीन राजा से मिलने पहुंचे तो राजा ने पत्थर की ओर इशारा करके जानना चाहा कि आख़िर पत्थर के न हिल पाने का कारण क्या है तो पंडितों ने सिंदूर की आकृति से देवी स्वरूप बने पत्थर को दोनों पंडितों ने शक्ति पीठ बताया। पररंतु कहते हैं उस समय के शासक औरंगजेब के डर से कोई मंदिर नहीं बनाता था।

मुसलमान कारीगरों ने किया मंदिर को तैयार
प्राचीन किंवदंती के अनुसार एक बार औरंगजेब की बहन जहानआरा की तबीयत खराब हुई तो उनके सलाहकारों ने उन्हें काशीपुर में स्थित एक मठ में जहानआरा के ठीक होने की मन्नत मांगने की सलाह दी। जिसके बाद बादशाह ने मन्नत मांगते हुए कहा कि अगर मेरी बहन ठीक हो गई तो वह मंदिर बनाएगा।
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जब औरंगजेब की बहन जहानआरा पूरी तर से ठीक हो गई तो उसने मंदिर का निर्माण करवाया। जिसके बाद से मठ की पूजा होने शुरू हो गई। बत दें कि यहां देवी की प्रतिमा केवल मेले के दौरान ही स्थापित की जाती है। मान्यताओं के अनुसार मंदिर का निर्माण मुसलमान कारीगरों ने किया है। मठ के ऊपर बड़ी गुंबद और तीनों देवियों के शक्ति स्वरूप तीन गुंबद बने हुए हैं।

नखासा बाजार के घोड़े
चैती मेले में लगने वाला नखासा मेला उत्तरी भारत का प्रमुख मेला माना जाता है। कहा जाता है कि किसी समय पर इस मेले में चंबल के डाकू अपनी पसंद का घोड़ा खरीदकर ले जाते थे। बताया जाता है कि चैती मेला में नखासा मेला करीब 400 साल पहले रामपुर निवासी घोड़ों के बड़े व्यापारी हुसैन बख्श ने शुरू किया था।

पॉलिथीन के इस्तेमाल पर है जुर्माना
उत्तर भारत के सबसे बड़े मेले में पॉलिथीन का इस्तेमाल करना एक दम मना है। यहां तक कि मेले में पॉलिथीन का प्रयोग करने वाले दुकानदारों पर 5,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
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