Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Apr, 2022 07:49 AM
देवी चंद्रघंटा नवदुर्गा का तीसरा रूप हैं, जिनकी साधना साधक नवरात्रि के तीसरे दिन करता है। देवी चंद्रघंटा के इस रूप में माता के मस्तक पर घंटे समान चंद्रमा शोभायमान रहता है। चंद्र की आभा से दैदीप्यमान यह
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Chaitra Navratri 3rd Day: देवी चंद्रघंटा नवदुर्गा का तीसरा रूप हैं, जिनकी साधना साधक नवरात्रि के तीसरे दिन करता है। देवी चंद्रघंटा के इस रूप में माता के मस्तक पर घंटे समान चंद्रमा शोभायमान रहता है। चंद्र की आभा से दैदीप्यमान यह रूप भक्तों को असीम धन, मानसिक शांति, रूप, प्रगति देने वाला है। देवी दस भुजाओं वाली युद्ध की मुद्रा में अपनी आभा से सकारात्मक ऊर्जा बिखेरती हुई दुष्टों के संहार को तत्पर रहने वाली हैं। इनके ध्यान से अलौकिक दृश्यों की अनुभूति होती है। मां चंद्रघंटा की आराधना से चंद्र और मंगल ग्रह बली होते हैं। निश्छल मन से की गई देवी उपासना करने से जीवन की हर प्रकार की टेंशन दूर हो जाती है।
घर के वायव्य कोण में लकड़ी के बजोट पर लाल अथवा सफेद रेशमी कपड़े को बिछा कर उस पर देवी के प्रतिरूप को विराजित करें। पंचामृत के स्नान के बाद देवी को पान का भोग लगाएं। देवी को सुर्ख लाल अनार चढ़ाने से हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
आज के दिन चींटियों को आटा और शहद मिलाकर डालने से हर प्रकार की टेंशन दूर हो जाएगी।
आज के दिन छोटी कन्याओं को दूध से बना हलवा बांटे और दिन के दूसरे पहर में किसी विधवा स्त्री को वस्त्र दान करें।
बताशे की एक कटोरी देवी के आगे रख कर अपनी मनोकामना बताएं। शीघ्र ही इच्छा पूर्ति होगी।
नीलम
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