Navratri 6th Day: माता कात्यायनी से जुड़ी हर जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Oct, 2020 02:09 PM

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वर्तमान समय में नवरात्र के पावन पर्व चल रहे हैं। हर जगह मां की महिमा का गुणगान है। इसके प्रति भक्तों का बहुत विश्वास और आस्था होती है। नवरात्र के छठे दिन दुर्गा मां के कात्यायनी रूप की पूजा की जाती है।

Navratri 2020 Day 6: वर्तमान समय में नवरात्र के पावन पर्व चल रहे हैं। हर जगह मां की महिमा का गुणगान है। इसके प्रति भक्तों का बहुत विश्वास और आस्था होती है। नवरात्र के छठे दिन दुर्गा मां के कात्यायनी रूप की पूजा की जाती है। कात्यायन ऋषि के घर उनकी पुत्री के रुप में जन्म लेने के कारण इन्हें कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। मां का यह रूप अपने भक्त की हर अभिलाषा की पूर्ति करता है। जो भी व्यक्ति मां के चरणों में शरण लेता है, उसके सब कष्ट दूर होते हैं और उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वह सुलभता से अपने लक्ष्यों की प्राप्ति करता है। मां बुराई व पाप को हराकर अच्छाई का साथ देनी वाली हैं।

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Sixth Day of Navratri: मां का स्वरूप
मां का यह रूप अति करुणामयी है। मां के इस रूप की आभा स्वर्ण की तरह चमकती हुई है। इनके सम्पूर्ण शरीर पर एक अद्धभुत तेज है। मां के माथे पर चमकता हुआ मुकुट है तथा गले में मणियों की माला शोभित है। मां  का वाहन सिंह है, जिस पर चार भुजाधारी कात्यायनी मां सवार हैं। इनके एक हाथ में तलवार शोभ्यमान है तो दूसरे हाथ में कमल का फूल धारण किया हुआ है। एक भुजा अभय मुद्रा में है तो एक भुजा वरमुद्रा में है।

Story of Goddess Katyayani: मां की उत्तपत्ति से जुड़ी पौराणिक कथा
ऋषि कात्यायन ने मां आदिशक्ति की कठोर तपस्या की, तब उनकी तपस्या से प्रसन्न हो कर मां ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। अतः कात्यायनी नाम से जानी गई। पुराणों के अनुसार महिषासुर नामक असुर ने ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि उसे कोई देव, दानव या मानव न मार सके। उसकी मृत्यु किसी स्त्री के हाथों हो। अपने इस वरदान के चलते उसने देवताओं को हराकर स्वर्ग व इंद्रासन पर हक प्राप्त कर लिया। तब देवताओं ने मां के कात्यायनी रूप का स्मरण अपनी समस्याओं के निवारण हेतू किया। तब मां के इसी रूप ने अत्याचारी दुष्ट महिषासुर का वध किया था। जिसके बाद मां महिषासुर मर्दिनी कहलाई।

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Maa Katyayani puja vidhi: पूजा विधि
सर्वप्रथम साधक को सुबह नित्य कर्मों के बाद नहा धोकर, साफ व स्वच्छ लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। एक स्वच्छ चौंकी पर साफ आसन बिछा कर मां की प्रतिमा की स्थापना करें। मां को लाल वस्त्र व चुनरी पहनाएं। लाल रंग शक्ति का प्रतीक होने के साथ-साथ मां को पसन्द है। तत्पश्चात मां की धूप-दीप आदि से पूजा अर्चना करें। मां को शहद के प्रसाद का भोग अति प्रिय है। मां को पीले फूल व हल्दी की गांठ भी अर्पित करें। इस दिन दुर्गा सप्तशती का ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना शुभ होता है।

Goddess Katyayani mantra: मां को प्रसन्न करने के लिए नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करें-

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

Worship Goddess Katyayani: मां कात्यायनी की उपासना करने से साधक को परम तेज व शक्ति की प्राप्ति होती है। उसके सभी कष्ट, रोग व भय का निवारण होता है। मां की आराधना से जातक की कुंडली के बृहस्पति ग्रह को बल मिलता है। साधक को वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त होता है। सुंदर रंग रूप का आशीर्वाद मिलता है। मां की भक्ति साधक के आज्ञा-चक्र को जागृत कर बलि करती है। मां के उपासक को चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है।

आचार्य लोकेश धमीजा
वेबसाइट – www.goas.org.in

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