मंगला गौरी व्रतः क्या है इस दिन का महत्व, मां गौरी की पूजा से मिलता है कैसा वरदान

Edited By Jyoti,Updated: 09 Aug, 2022 01:29 PM

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सावन का माह सबसे पवित्र माह माना जाता है। इस महीने के सोमवार का जितना महत्व है उतना ही मंगलवार का भी है। इस महीना के प्रत्येक सोमवार के दिन जहां शिव शंकर की पूजा की जाती है वही मंगलवार का दिन मां पार्वती को समर्पित है।

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सावन का माह सबसे पवित्र माह माना जाता है। इस महीने के सोमवार का जितना महत्व है उतना ही मंगलवार का भी है। इस महीना के प्रत्येक सोमवार के दिन जहां शिव शंकर की पूजा की जाती है वही मंगलवार का दिन मां पार्वती को समर्पित है। बताया जाता है कि इसके हर मंगलवार को मां मंगला गौरी यानि मां पार्वती की पूजा व व्रत का विधान है। धार्मिक मान्यता है इस व्रत को करने से पति की लंबी आयु और पुत्र प्राप्ति जैसे सुख प्राप्त हैं। यही नहीं अगर किसी दांपत्य जीवन में किसी प्रकार की बाधाएं आ रही हों या खुशी घर से चली गई हो तब भी इस व्रत को करने की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं क्या है इस व्रत को करने के पीछे का कारण।
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मां मंगला गौरी व्रत कथा-
प्राचीन समय में एक गांव में व्यापारी धर्मपाल और उनकी बेहद सुंदर पत्नी रहती थी। उनका व्यापार बहुत अच्छे से चल रहा था, उनके घर व जीवन में धन-धान्य की कोई कमी नहीं थी। कमी थी तो सिर्फ एक कि उनकी कोई संतान नहीं थी। व्यापारी को व उसकी पत्नी को हर समय बस इसी बात का दुख सताता रहता था। व्यापारी ने अलग-अलग जप-तप किए, पूजा अर्चना की लेकिन फिर भी उन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ। 

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लेकिन आखिरकार कुछ समय बाद भगवान की कृपा उन पर हो ही गई और उन्हें घर पुत्र की किलकारियां गूंजी, मगर वह अल्पायु था। वह बालक बेहद ही सुंदर था परंतु उसे श्राप मिला था कि वह सिर्फ 16 वर्ष की उम्र तक जीवित रह सकता था और उसकी मौत सांप के काटने की वजह से होगी। सौभाग्य से उसका विवाह एक ऐसी कन्या से हुआ जो मां मंगला गौरी का व्रत करती थी और उस कन्या को वरदान प्राप्त था कि वह कभी विधवा नहीं हो सकती। जब ऐसा हुआ तो उस कन्या के पति यानि व्यापारी धर्मपाल के पुत्र की आयु 100 वर्ष की हो गई। ऐसा कहा जाता है तभी से मंगला गौरी व्रत करने की पंरपरा का आरंभ हुआ। मान्यता है नवविवाहित महिलाएं द्वारा इस व्रत को पति की लंबी आयु की कामना के साथ किया जाता है। इस व्रत के प्रभाव से घर के सभी कलह-क्लेश आदि से मुक्ति मिलती है।
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