नवरात्रों में लाखों की संख्या में मां विजयासन देवी के दर्शन को पहुंचते हैं श्रद्धालु

Edited By Jyoti,Updated: 13 Oct, 2021 04:47 PM

maa vijayasan dham salkanpur

विंध्याचल के ऊंचे पहाड़ों ओर प्रकृति की गोद में विराजित विन्ध्यवासनी मां विजयासन धाम सलकनपूर माता विजयासन का एक सुप्रसिद मदिंर है। प्रकृति की छटा बिखरती पहाड़ियों के बीच

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विंध्याचल के ऊंचे पहाड़ों ओर प्रकृति की गोद में विराजित विन्ध्यवासनी मां विजयासन धाम सलकनपूर माता विजयासन का एक सुप्रसिद मदिंर है। प्रकृति की छटा बिखरती पहाड़ियों के बीच माता का मंदिर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है, जहां दूर-दूर से भक्तजन माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। बताया जाता है 1000 फीट ऊंची पहाड़ी पर देवी विजयासन विराजमान हैं। शास्त्रों में इन देवी को मां दुर्गा का अवतार माना गया है। देवी मां का यह सुप्रसिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 75 कि.मी. दूर स्थित है। तो वहीं यह पहाड़ी मां नर्मदा से 15 कि.मी दूर है। बताया जाता है यहां पहुंचने के लिए भक्तों को 1400 सीढ़ियों का रास्ता तय करना पड़ता है। जबकि इस पहाड़ी पर जाने के लिए कुछ वर्ष पूर्व सड़क मार्ग भी बना दिया गया है। जो रास्ता लगभग साढ़े 4 किलोमीटर लंबा है। इसके अलावा दर्शनार्थियों के लिए रोप-वे भी शुरू हो गया है, इसकी मदद से यहां 5 मिनट में पहुंचा जा सकता है। पुराणों के अनुसार देवी विजयासन माता पार्वती का ही अवतार हैं, जिन्होंने देवताओं के आग्रह पर रक्तबीज नामक राक्षस का वध किया था और सृष्टि की रक्षा की थी। विजयासन देवी को कई लोग कुलदेवी के रूप में भी पूजते हैं। माता कन्याओं को मनचाहा वर देती हैं तथा भक्तों की सूनी गोद भरती हैं। 

इस मंदिर में विराजमान मां विजयासन की प्रतिमा स्वयं-भू है। जो प्रतिमा माता पार्वती की है। इस प्रतिमा में वात्सल्य भाव से मां अपनी गोद में भगवान गणेश को लेकर बैठी हुई है। बता दें इस भव्य मंदिर में महालक्ष्मी, महासरस्वती और भगवान भैरव की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। भक्तों का मानना है कि एक मंदिर में कई देवी-देवताओं का आशीर्वाद पाने का सभी को सौभाग्य मिलता है। 

देवी से जुडी एक पौराणिक कथा के अनुसा सैकड़ो वर्ष पूर्व जंगल मे बंजारों के पशु गुम हो गये थे उन्होंने जंगल मे बहुत खोजे पर नही मिले। वर्तमान समय में जहां  माता का मंदिर है उस स्थान पर एक कन्या ने दर्शन देकर कहा तुम्हारे पशु उस दिशा में मिलेंगे जब बंजारों ने वहां जाकर देखा तो उन्होंने पाया कि कन्या की बात सच निकली। ऐसा कहा जाता है तभी से इस जगह मां का पूजन शुरू हुआ। बताया जाता है कि पहले यहां छोटी सी मड़िया हुआ करती थीं विगत पन्द्रह वर्षो से यह भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। साल में पड़ेने वाले दोनों नवरात्रि ही नवरात्रों के दौरान यहां लाखों ही लोग मां के दर्शनों को पहुंचते हैं। 

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