Edited By Lata,Updated: 14 Aug, 2019 10:56 AM
हम सबने महाभारत से जुड़े हुए बहुत से ऐसे प्रसंगों के बारे में सुना है, जिससे हमें जीवन जीने की प्ररेणा मिलती है।
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हम सबने महाभारत से जुड़े हुए बहुत से ऐसे प्रसंगों के बारे में सुना है, जिससे हमें जीवन जीने की प्ररेणा मिलती है। ये युद्ध एक ऐतिहासिक युद्ध रहा है। महीभारत से ही हमें गीता का ज्ञान प्राप्त हुआ, जोकि आज के समय में भी लोगों के काम आता है। ऐसे ही आज हम आपको इसी से जुड़ी एक ऐसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें बताया गया है कि दुर्योधन किन कारणों से युद्ध हारा था।
एक प्रसंग के अनुसार भीम ने दुर्योधन को पराजित कर दिया तो वह जमीन पर पड़े-पड़े तीन उंगलियां दिखाकर कुछ बोलने की कोशिश कर रहा था। दुर्योधन बहुत घायल हो गया था, इस कारण ठीक से कुछ बोल भी नहीं पा रहा था, ये देखकर श्रीकृष्ण उसके पास गए और उससे बात की। तब दुर्योधन ने कहा कि उसने तीन बड़ी गलतियां की, जिनकी वजह से वह ये युद्ध हार गया।
दुर्योधन ने श्रीकृष्ण से कहा कि मैंने पहली गलती ये की थी कि स्वयं नारायण यानि आपको नहीं, बल्कि आपकी नारायणी सेना को चुना। इसके बाद दुर्योधन ने दूसरी गलती बताई कि जब उसे माता गांधारी ने नग्न अवस्था में बुलाया था तो वह कमर के नीचे पत्ते लपेटकर चले गया। यदि नग्न अवस्था में जाता तो पूरा शरीर वज्र के समान हो जाता और उसे कोई पराजित नहीं कर पाता। अंत में दुर्योधन ने बताया कि उसकी तीसरी गलती ये थी कि वह युद्ध में सबसे अंत में आगे आया। अगर वह युद्ध की शुरुआत में ही आगे आ जाता तो कौरव वंश का नाश होने से बच सकता था।
लेकिन दुर्योधन की बातें सुनकर श्रीकृष्ण ने भी उससे कहा कि तुम्हारी हार की सबसे बड़ी वजह है तुम्हारा अधर्मी आचरण। दुर्योधन तुमने भरी सभा में अपनी कुलवधु द्रौपदी का वस्त्र हरण किया। ये काम तुम्हारे विनाश के कारणों में से एक है। तुमने जीवन में कई ऐसे अधर्म किए हैं जो तुम्हारी पराजय का मुख्य कारण बने हैं। इसीलिए अधर्म से बचना चाहिए, हमेशा स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए, वरना जीवन बर्बाद हो जाता है।