महाकाल में होगा बारह ज्योतिर्लिंगों का दिव्य एवं अद्भुत संगम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Dec, 2017 02:07 PM

mahakala will be the divine and wonderful confluence of twelve jyotirlingas

महाकाल की नगरी मध्यप्रदेश के उज्जैन में अगले महीने जनवरी में बारह ज्योतिर्लिंगों के समागम का दिव्य एवं अदभुत शैव महोत्सव आयोजित किया जायेगा।  राज्य शासन के संस्कृति विभाग एवं महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा नये वर्ष से प्रथम सप्ताह में होने...

उज्जैन: महाकाल की नगरी मध्यप्रदेश के उज्जैन में अगले महीने जनवरी में बारह ज्योतिर्लिंगों के समागम का दिव्य एवं अदभुत शैव महोत्सव आयोजित किया जायेगा।  राज्य शासन के संस्कृति विभाग एवं महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा नये वर्ष से प्रथम सप्ताह में होने वाले तीन दिवसीय शैव महोत्सव से यह परंपरा प्रारंभ की गई है। देश के बारह ज्योतिर्लिगों में प्रमुख स्थान रखने वाले विश्व प्रसिद्ध भगवान महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन से शुरु की गई है। 


प्राचीन एवं धार्मिक नगरी में पांच से सात जनवरी तक आयोजित होने वाले शैव महोत्सव में समस्त बारह ज्योतिर्लिंगों के प्रतिनिधि, सन्त, साधु, महात्मा एवं विद्वान उपस्थित होंगे तथा आध्यात्मिक और सारस्वत मंथन के उपरान्त प्राप्त अमृत प्रदान करेंगे। 


यह महोत्सव प्रत्येक वर्ष भारत के द्वादश ज्योतिर्लिगों में अलग-अलग ज्योतिर्लिगों में आयोजित किया जायेगा। इसके अन्तर्गत शोभायात्रा एवं प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है। इसके अन्तर्गत सभी बारह ज्योतिर्लिंगों की सुन्दर प्रतिकृतियों को प्रदर्शित किया जायेगा। पूरे विश्व में द्वादश ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की पूजा के पावन स्थल हैं। बाबा महाकाल एवं उज्जैन की धरती पर उन्हें सभी ज्योतिर्लिंगों की एक साथ अनुभूति होगी। जिसमें सभी शैव पूजा के पावन स्थलों के एक स्थान पर संगम का तथा उन सन्तों एवं विद्वानों के दर्शन का शैव दर्शनों पर आधारित परिचर्चा उपरान्त उनके निष्कर्ष से हमें कृतार्थ करेंगे। 


इस महोत्सव में विश्व स्तर पर द्वादश ज्योतिर्लिंगों के माहात्म्य को प्रसारित करना, विभिन्न शैव दर्शनों के प्रकाश में परिचर्चा एवं प्रदर्शनी का आयोजन करना, हिन्दू धर्म संस्कृति एवं दर्शन पर गहन विचार मंथन एवं चिन्तन करेंगे। इसके अलावा द्वादश ज्योतिर्लिंगों का व्यवस्था प्रबंधन एवं समन्वय करना, सामाजिक लोक उत्तरदायित्व के कार्यों का विस्तार किए जाने पर विचार एवं इसके माध्यम से सामाजिक समरसता के स्थापन का कार्य करना, राष्ट्रोत्थान हेतु द्वादश ज्योतिर्लिंग संस्थानों की प्रतिभागिता एवं समन्वय करना, शैव एवं वैष्णव देवस्थान जो आदिकाल से राष्ट्रीय चेतना के केन्द्र के गौरव की पुनर्स्थापना करना, आध्यात्मिक मनोभाव के साथ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना आदि है। 


आधिकारिक जानकारी के अनुसार महोत्सव के अन्तर्गत तीन दिनों तक चार स्थलों पर शैव दर्शन आदि पर परिचर्चाएं आयोजित की जाएंगी। जिनके लिये सनातन व्यासपीठ, स्वामी सन्तदास उदासीन आश्रम नृसिंह घाट, सनक व्यासपीठ श्री बालमुकुन्द आश्रम झालरिया मठ, श्री सनन्दन व्यासपीठ श्री बालमुकुन्द आश्रम झालरिया मठ और सनत कुमार व्यासपीठ श्री महाकालेश्वर प्रवचन हॉल महाकाल मन्दिर में चार पीठे बनाई गई हैं। 


कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर पांच जनवरी को द्वादश ज्योतिर्लिंग की प्रतिकृतियों के साथ एवं तत्संबंधी लोक संस्कृति की झलक लिए हुए एक भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया जाएगा। यह शोभायात्रा महाकालेश्वर मन्दिर से प्रारंभ होकर प्रमुख मार्गो से होते हुए पुन: महाकाल मन्दिर पर संपन्न होगी। साथ ही बारह ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृति, भगवान शिव के चित्र तथा सभी वेदों के वैज्ञानिक पक्ष पर आधारित प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जायेगा।

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