महालक्ष्मी व्रत समापन: जाते-जाते देवी लक्ष्मी देगी अपार धन का आशीर्वाद, इन बातों का रखें ध्यान

Edited By Jyoti,Updated: 09 Sep, 2020 07:18 PM

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प्रत्येक वर्ष पितृ पक्ष के दौरान महालक्षमी व्रत पड़ता है, जो हर साल भाद्रपद की राधा अष्टमी तिथि से शुरू होकर पितृ पक्ष के अश्विनी मास की अष्टमी तिथि को समाप्त होता है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष पितृ पक्ष के दौरान महालक्षमी व्रत पड़ता है, जो हर साल भाद्रपद की राधा अष्टमी तिथि से शुरू होकर पितृ पक्ष के अश्विनी मास की अष्टमी तिथि को समाप्त होता है। धार्मिक शास्त्रों में इसे गजलक्ष्मी व्रत के नाम से जाना जाता है। इस दिन महालक्ष्मी के गजलक्ष्मी स्वरूप की तथा उनके वाहन हाथी की पूजा करने का विधान है। बता दें इस बार पितृपक्ष के बीच में महालक्ष्मी व्रत किया जाता है। यह व्रत राधा अष्टमी से शुरू होता है और पितृपक्ष की अष्टमी तक चलता है। पितृपक्ष की अष्टमी पर इस व्रत का समापन होता है। इस व्रत को गजलक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है। गजलक्ष्मी व्रत के दिन हाथी की पूजा और महालक्ष्मी के गजलक्ष्मी स्वरूप की पूजा की जाती है। बता दें इस साल महालक्ष्मी व्रत 26 अगस्त से आरंभ हुआ तथा जो अब 10 सितंबर को समाप्त हो रहा है। ऐसे में महालक्ष्मी की पूजा करना विशेष होता है। मुख्य रूप से इस दिन मिट्टी के गज यानि हाथी बनाकर इनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
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धार्मिक मान्यताएं हैं कि इस व्रत के प्रभाव से जातक के घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही साथ धन-धान्य में किसी प्रकार की कमी नहीं होती। मगर यदि कोई व्यक्ति जाने-अनजाने इनकी पूजा में किसी प्रकार की भूल चूक कर देता है तो श्री लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त नहीं न ही घर में बरकत बढ़ती है। 

महालक्ष्मी व्रत के दिन देवी लक्ष्मी के श्रीधन लक्ष्मी, श्रीगज लक्ष्मी, श्रीवीर लक्ष्मी, श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी मां, श्री विजय लक्ष्मी मां, श्री आदि लक्ष्मी मां, श्री धान्य लक्ष्मी मां और श्री संतान लक्ष्मी मां रूप की पूजा करनी चाहिए।

पूजा स्थल पर इस दिन हल्दी से कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करके, उनके समक्ष सामने श्रीयंत्र, सोने-चांदी के सिक्के और फल फूल रखें।

इसके बाद पानी से भरे कलश को पान के पत्तों से सजाकर मंदिर में रखें और उसके ऊपर नारियल रख दें। अब कलश के पास हल्दी से कमल बनाकर उस पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजित करें। 
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अगर हाथ से मिट्टी के गणेश जी न बना पाएं तो बाज़ार से इस दिन मिट्टी का हाथी लाना बिल्कुल न भूलें और इसे आभूषणों से सजाएं।

बता दें देवी लक्ष्मी की पूजा में अगर श्रीयंत्र न हो तो इनकी पूजा अधूरी मानी जाती है। 

इसलिए इनकी पूजा में मां लक्ष्मी की मूर्ति के समक्ष श्रीयंत्र को रखकर कमल के फूल से उसकी भी पूजा करें, तथा श्रीयंत्र या महालक्ष्मी यंत्र को मां लक्ष्मी के सामने स्थापित करके पूजा करें। शास्त्रों में श्री यंत्र को धन वृद्धि करवाने वाला चमत्कारी यंत्र माना जाता है। 

ध्यान रहे इनकी पूजा में फल व मिठाई ज़रूर होनी चाहिए। अपनी सामर्थ्य अनुसार आप देवी लक्ष्मी पर सोने-चांदी के आभूषण आदि भी अर्पित कर सकते हैं। इसके अलावा महालक्ष्मी व्रत के समापन के दिन मां लक्ष्मी के 8 रूपों की मंत्रों का उच्चारण करते हुए तथा कुंकुम, चावल और फूल चढ़ाते हुए पूजा करनी चाहिए।

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