Edited By ,Updated: 31 Dec, 2016 10:19 AM
आधुनिक समय में समाज सेवा तथा आध्यात्मिक क्षेत्र के साथ-साथ शिक्षा, पर्यावरण की रक्षा इत्यादि के लिए महाराज भूरीवाले गरीबदासी सम्प्रदाय की गुरुगद्दी
आधुनिक समय में समाज सेवा तथा आध्यात्मिक क्षेत्र के साथ-साथ शिक्षा, पर्यावरण की रक्षा इत्यादि के लिए महाराज भूरीवाले गरीबदासी सम्प्रदाय की गुरुगद्दी ने उल्लेखनीय योगदान डाला है। महाराज भूरीवाले गरीब दासी सम्प्रदाय की गुरुगद्दी परंपरा के अनुसार इस सम्प्रदाय के सूत्रधार महाराज ब्रह्मसागर जी भूरीवाले थे। उनका जन्म श्री आनंदपुर साहिब तहसील के गांव रामपुर दूनी में हुआ।
इन्होंने अनेक राज्यों में आचार्य गरीबदास जी की गुरबाणी का प्रसार तथा प्रचार किया जिससे लोगों का आध्यात्मिक तथा सामाजिक उत्थान हुआ। महाराज ब्रह्मसागर जी भूरीवालों के बाद भूरीवाले सम्प्रदाय की बागडोर महाराज लाल दास जी भूरीवालों को सौंपी गई। ये बचपन से ही साधु स्वभाव के थे। इन्होंने जन कल्याण के लिए कार्य किए। 14 अगस्त 1975 को आपके ज्योति जोत समाने के बाद आप के उत्तराधिकारी ब्रह्मानंद जी महाराज भूरीवालों (गऊओं वालों) ने महापुरुषों के बताए मार्ग पर चलते हुए जन कल्याण के कार्य किए।
ब्रह्मलीन महाराज ब्रह्मानंद भूरीवाले (तीसरे गद्दीनशीन भूरीवाले संप्रदाय) ने महाराज भूरीवाले गरीबदासी एजुकेशन ट्रस्ट (रजि.) की स्थापना 1984 में की। इसके बाद पांच डिग्री कालेज, अनेक गऊशालाएं, कुटिया, अन्नदान स्थान खोले। ब्रह्मानंद भूरीवालों के पांच भौतिक शरीर त्याग के बाद गुरुगद्दी परम्परा के चौथे गुरु महाराज वेदांताचार्य स्वामी चेतनानंद भूरीवालों द्वारा सम्प्रदाय की शिक्षाओं, कुटिया, अन्न क्षेत्रों तथा पर्यावरण के रख-रखाव के लिए विशाल कार्य किए जा रहे हैं। गुरु परंपरा के अनुसार इस बार महाराज लाल दास जी भूरीवालों के निमित्त 29 से 31 दिसम्बर तक जोड़ मेला धार्मिक समागम रामसर मोक्ष द्वार (टप्परियां खुर्द) निकट बलाचौर में मनाया जा रहा है।