Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Feb, 2018 11:31 AM
हिंदू देवी-देवताओं में भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है। इन्हें सभी विद्याओं का जनक भी माना जाता है। वे तंत्र से लेकर मंत्र तक और योग से लेकर समाधि तक प्रत्येक क्षेत्र के आदि और अंत हैं। यही नहीं वे संगीत के आदि सृजनकर्ता भी हैं, और...
हिंदू देवी-देवताओं में भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है। इन्हें सभी विद्याओं का जनक भी माना जाता है। वे तंत्र से लेकर मंत्र तक और योग से लेकर समाधि तक प्रत्येक क्षेत्र के आदि और अंत हैं। यही नहीं वे संगीत के आदि सृजनकर्त्ता भी हैं, और नटराज के रुप में कलाकारों के आराध्य भी हैं। कोई भी प्रार्थना, पूजा पाठ, आराधना, मंत्र, स्तोत्र और स्तुतियों का फल तभी प्राप्त होता है जब आराधना विधि-विधान और शास्त्रोक्त तरीकों से की जाए। सनातन धर्म में भगवान विष्णु को संसार का पालनहार माना जाता है । भगवान विष्णु को सनातन धर्म के तीन प्रमुख ईश्वरीय रूपों "ब्रह्मा , विष्णु , महेश" में से एक रूप माना जाता है तथा भगवान विष्णु ही नारायण, हरि पालक और स्वयं श्री भगवान हैं।
श्री चैतन्य गौड़िया मठ से श्री भक्ति विचार विष्णु जी महाराज कहते हैं, महाशिवरात्रि व्रत के दिन शिव परिवार को प्रणाम करना और उनकी प्रसन्नता के लिए हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। महामंत्र करना चाहिए। शिव जी को स्वयं की स्तुति से अधिक श्री हरि विष्णु की स्तुति अधिक पसंद है। शिव जी स्वयं भी भगवान श्री हरि के ध्यान में मग्न रहते हैं और महामंत्र का जाप करते हैं। श्रीमद्भागवत पुराण में लिखा है, जिस तरह नदियों में गंगा पतति-पावन हैं उसी तरह वैष्णवों में भगवान शिव परम वैष्णव हैं।
महाराज जी ने इस तिथि का महत्व बताते हुए आगे बताया, जो व्यक्ति आज के दिन महाशिवरात्रि पर व्रत का पालन करते हुए उनसे कुछ भी मांगता है, वह उसकी हर इच्छा पूरी करते हैं। जो जातक उनसे किसी वस्तु की मांग नहीं करता उसे वह भगवत भक्ति प्रदान करते हैं।
इस मनुष्य जीवन का एकमात्र लक्ष्य है शिव कृपा प्राप्त करना। आदि शंकराचार्य को भगवान शिव ने दर्शन देकर उनका मार्गदर्शन किया। भक्त नरसी मेहता जो भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे, उनके द्वारा एकांत स्थान में शिवालय में भगवान शिव की भक्ति करने पर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए। वह नरसी भक्त को सशरीर गोलोक धाम ले गए और उन्हें श्री राधा कृष्ण जी के दिव्य दर्शन कराने की कृपा प्रदान की।
गोस्वामी तुलसी दास जी द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस की एक चौपाई के अनुसार भगवान शिव मां पार्वती को अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं “ उमा कहऊं मैं अनुभव अपना, सत हरि भजन जगत सब सपना”
अर्थात- इस संसार में केवल श्री हरि का निरंतर स्मरण ही एक मात्र सत्य है इसके अतिरिक्त जग में सब कुछ केवल सपने के समान है।