Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि पर 4 पहर की पूजा देती है ढेरों लाभ, पढ़ें पूरी जानकारी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Mar, 2022 11:13 AM

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हिन्दू पंचांग के अनुसार हर वर्ष फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। इसी दिन भगवान शंकर एवं माता पार्वती जी का विवाह हुआ था। आज ही के दिन

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Mahashivratri 2022: हिन्दू पंचांग के अनुसार हर वर्ष फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। इसी दिन भगवान शंकर एवं माता पार्वती जी का विवाह हुआ था। आज ही के दिन महादेव के भक्त अलग-अलग तरह से भगवान को प्रसन्न करने के लिये पूजा करते हैं ताकि उन पर शिव जी की कृपा बनी रहे। इस दिन विशेष रूप से व्रत भी रखा जाता है। इस दौरान चार प्रहर की पूजा का विधान भी है, जो भी भक्त इस दौरान विधिवत भगवान शिव की आराधना करते हैं तो उन्हें भगवान से कई प्रकार के आर्शीवाद प्राप्त होते हैं। तो आईये जानते हैं चार प्रहर की पूजा का समय -

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पहले प्रहर की पूजा का समय 1 मार्च 2022 को शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक। दूसरे प्रहर की पूजा का समय रात्रि 9 बजकर 27 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक। तीसरे प्रहर की पूजा का समय 2 मार्च 2022 को 12 बजकर 33 मिनट ए.एम से 3 बजकर 39 मिनट ए.एम तक। चौथे प्रहर का प्रातः 3 बजकर 39 मिनट से प्रातः 6 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। वहीं पर निशिता काल पूजा का समय 2 मार्च 2022 को सुबह 12:08 से 12:58 तक ही रहेगा। 

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चर्तुदशी तिथि का आरम्भ 1 मार्च 2022 को प्रातः 03:16 बजे से होगा और समापन 2 मार्च 2022 को प्रातः 01:00 ए.एम पर होगा। शिवरात्रि से एक दिन पहले त्रयोदशी तिथि रहेगी और इस तिथि पर भगवान शिव जी के भक्तों को लहसुन और प्याज इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। इस महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि में चार बार से किये जाने का विधान होता है और हर प्रहर की पूजा की विधि अलग-अलग प्रकार की होती है। 

भगवान शिव के चंद्रमा को अपने सिर पर धारण करने के कारण उन्हें चंद्रशेखर भी कहा जाता है। आमतौर पर भक्तों द्वारा प्रभु को भोग स्वरूप दूध, जल, स्फेद फूल, चावल, शक्कर इत्यादि अर्पण की जाती है। इन सभी वस्तुओं का संबंध सीधा-सीधा चंद्रमा से है। जब हम शिव जी की आराधना या अर्पण करते हैं तो साथ-साथ चंद्रमा का भी पूजन हो जाता है। जिससे कि चंद्रमा से प्राप्त होने वाली सकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव में बढ़ोतरी होती है। चंद्रमा के बलवान होने से हमे अपने क्रोध पर नियंत्रण मिलता है, निर्णय क्षमता में इजाफा होता है, सोचने की फ्रीक्वेंसी शार्प हो जाती है, अनिद्रा इत्यादि रोगों से मुक्ति मिलती है, नकारात्मकता का प्रभाव भी कम हो जाता है। 

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Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientist
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

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