Mahavir Jayanti 2021: इस दिन होता महावीर जी की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त पूजन आरती

Edited By Jyoti,Updated: 22 Apr, 2021 05:28 PM

mahavir jayanti 2021

​​​​​​​एकादशी तिथि के ठीक दो दिन यानि 25 अप्रैल को महावीर जयंती का पर्व मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को भगवान महावीर के जन्म उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।

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एकादशी तिथि के ठीक दो दिन यानि 25 अप्रैल को महावीर जयंती का पर्व मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को भगवान महावीर के जन्म उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के 13वें दिन को धूम धाम से मनाया जाता हैं क्योंकि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन महावीर स्वामी का जन्म हुआ था। बताया जाता है कि इनका जन्म बिहार के कुंडग्राम/कुंडलपुर के राज परिवार में हुआ था। इन्हें जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता है। प्रचलित कथाओं के अनुसार महावीर जयंती को उन 24 लोगों में से माना जााता है जिन्होंने तपस्या से आत्मज्ञान की प्राप्ति की थी। बता दें तीर्थंकर वह लोग होते हैं जो इंद्रियों और भावनाओं पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर लेते हैं। देशभर के जैन मंदिरों में पूजा की जाती है। साथ ही शोभा यात्राएं भी निकाली जाती हैं। जैन समुदाय के लोग इस दिन स्वामी महावीर के जन्म की खुशियां मनाते हैं। इन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा के कई उपदेश दिए थे। इन्होंने ही जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए थे जो इस प्रकार हैं- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य।


महावीर स्वामी की 2619वां जन्म वर्षगांठ अप्रैल 25, 2021 को

त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 24, 2021 को 07:17 पी एम बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त - अप्रैल 25, 2021 को 04:12 पी एम बजे

यहां जानें इनकी 3 खास आरतियां- 
जय महावीर प्रभो

जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो।
कुंडलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो॥ ॥ ॐ जय.....॥

सिद्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी, स्वामी वैभव था भारी।
बाल ब्रह्मचारी व्रत पाल्यौ तपधारी ॥ ॐ जय.....॥

आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टि धारी।
माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी ॥ ॐ जय.....॥

जग में पाठ अहिंसा, आपहि विस्तार्यो।
हिंसा पाप मिटाकर, सुधर्म परिचार्यो ॥ ॐ जय.....॥
इह विधि चांदनपुर में अतिशय दरशायौ।
ग्वाल मनोरथ पूर्‌यो दूध गाय पायौ ॥ ॐ जय.....॥

प्राणदान मन्त्री को तुमने प्रभु दीना।
मन्दिर तीन शिखर का, निर्मित है कीना ॥ ॐ जय.....॥

जयपुर नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी।
एक ग्राम तिन दीनों, सेवा हित यह भी ॥ ॐ जय.....॥

जो कोई तेरे दर पर, इच्छा कर आवै।
होय मनोरथ पूरण, संकट मिट जावै ॥ ॐ
जय.....॥
निशि दिन प्रभु मंदिर में, जगमग ज्योति जरै।
हरि प्रसाद चरणों में, आनंद मोद भरै ॥ ॐ जय.....॥

रंग लाग्यो महावीर

आरती 1. रंग लाग्यो महावीर, थारो रंग लाग्यो

1. थारी भक्ति करवाने म्हारो भाव जाग्यो ॥
रंग लाग्यो…॥

2. थारा दर्शन करवाने म्हारो भाव जाग्यो ॥
रंग लाग्यो…॥

3. थारा कलशा करवाने म्हारो भाव जाग्यो ॥
रंग लाग्यो…॥
4. थारा पूजन करवाने म्हारो भाव जाग्यो ॥
रंग लाग्यो…॥

5. थारी भक्ति करवाने म्हारो भाव जाग्यो ॥
रंग लाग्यो…॥

6. थारी वंदना करवाने म्हारो भाव जाग्यो ॥
रंग लाग्यो…॥

7. थारे पैदल आवाने म्हारो भाव जाग्यो ॥
रंग लाग्यो…॥

रंग लाग्यो महावीर, थारो रंग लाग्यो।।
रंग लाग्यो महावीर, थारो रंग लाग्यो।।

भगवन मेरी नैया

भगवन मेरी नैया, उस पार लगा देना
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना
हम दीनदुखी निर्धन, नित नाम जपे प्रतिपल
यह सोच दरश दोगे, प्रभु आज नहीं तो कल
जो बाग लगाया है फूलों से सजा देना
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।

तुम शांति सुधाकर हो, तुम ज्ञान दिवाकर हो
मुम हंस चुगे मोती, तुम मानसरोवर हो
दो बूंद सुधा रस की, हम को भी पिला देना
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।

रोकोगे भला कब तक, दर्शन दो मुझे तुम से
चरणों से लिपट जाऊं प्रभु शोक लता जैसे
अब द्वार खड़ा तेरे, मुझे राह दिखा देना
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।

मंझधार पड़ी नैया डगमग डोले भव में
आओ त्रिशाला नंदन हम ध्यान धरे मन में
अब बस करें विनती, मुझे अपना बना लेना
भगवन मेरी नैया, उस पार लगा देना
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।

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