महावीर जयंती: आज भी प्रासंगिक हैं भगवान महावीर के संदेश और धारणाएं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Mar, 2018 12:07 PM

mahavir jayanti

आज से 599 ईसा पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की 13वीं तिथि को भगवान महावीर का धरती पर अवतरण हुआ था। जैन धर्म के अनुयायी इस दिन को महावीर जयंती के रूप में मनाते हैं। 29 मार्च, बृहस्पतिवार को महावीर जयंती का

आज से 599 ईसा पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की 13वीं तिथि को भगवान महावीर का धरती पर अवतरण हुआ था। जैन धर्म के अनुयायी इस दिन को महावीर जयंती के रूप में मनाते हैं। 29 मार्च, बृहस्पतिवार को महावीर जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। इन्हें जैन धर्म का 24 वें तीर्थंकर माना गया है। 


श्रमण भगवान महावीर ने एक ओर वैचारिक जगत में क्रांति पैदा की तो दूसरी ओर दार्शनिक जगत में जन-मानस को उद्बुद्ध किया। वैचारिक जगत में उनकी सबसे प्रथम घोषणा थी कि यह संसार किसी ईश्वरीय सत्ता द्वारा परिचालित नहीं है अपितु जड़-चेतन के संसर्ग से स्वत: ही चालित तथा अनादि अनन्त है। उनकी इस नई गवेषणा से क्रांति मच गई। दार्शनिक जगत में उन्होंने लोगों के सामने ‘कर्मवाद’ का सिद्धांत प्रस्तुत किया। जीव को अपने कर्मों का फल स्वयं भोगना पड़ेगा। ईश्वर उसके कर्म फल में हस्तक्षेप नहीं करता। 


सामाजिक क्षेत्र में भगवान महावीर ने सबसे बड़ी क्रांति करते हुए प्रत्येक व्यक्ति को धर्म-साधना का अधिकार दिया। यह किसी जाति विशेष की बपौती नहीं है। उन्होंने नारी जाति को सम्मान दिया और राजा दधिवाहन की पुत्री चन्दन बाला को अपने श्रमणी संघ की प्रमुख बनाकर उच्च स्थान प्रदान किया। उन्होंने अनेकांतवादी (समन्वय) दृष्टि से सभी धर्मों में व्याप्त सत्य को स्वीकार करने पर बल दिया और कदाग्रह से बचने की प्रेरणा दी। भगवान महावीर के संदेश, धारणाएं और गवेषणाएं आधुनिक युग में भी प्रासंगिक हैं। 

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