माघ महीने में आ रहे हैं ये खास व्रत और त्योहार

Edited By Lata,Updated: 10 Jan, 2020 12:15 PM

makar sankranti 2020

जैसे कि सभी जानते ही होंगे कि हिंदू धर्म में माघ माह का बहुत अधिक महत्व बताया गया है।

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जैसे कि सभी जानते ही होंगे कि हिंदू धर्म में माघ माह का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। कहते हैं कि ये मास दान, जाप, ध्यान व स्नान के लिए महत्वपूर्ण होता है, तो वहीं आज से माघ स्नान का आरंभ हो गया है। इस मास में पवित्र नदियों में स्नान, पूजन-अर्चन और तिल-कंबल के दान को विशेष महत्व द‍िया गया है। माना गया है कि ऐसा करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। बता दें कि इस माह में संपूर्ण भारत के प्रमुख तीर्थों पर मेलों का आयोजन होता है। प्रयाग, हरिद्वार, उत्तरकाशी जगहों पर लगने वाले माघ मेलों में दूर-दूर से लोग उमड़ते हैं। हालांकि माघ महीने में कुछ ऐसी तिथियां भी हैं जिन्हें व‍िशेष माना जाता है। 
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षटतिला एकादशी
माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं। इस दिन तिलों का व‍िशेष महत्‍व है। इस दिन तिल के जल से स्नान क‍िया जाता है और साथ ही तिल से हवन होता है व तिल मिले जल का पान, तिल का भोजन एवं तिल का दान किया जाता है। काले तिल व काली गाय के दान का भी बहुत महत्व होता है। षटतिला एकादशी के लिए शास्त्रों में भी कहा गया है-

तिलस्नायी तिलोद्वार्ती तिलहोमी तिलोद्की।
तिलभुक् तिलदाता च षट्तिला: पापनाशना:।।

यानी तिल का उबटन लगाकर, जल में तिल मिलाकर स्नान करना, तिल से हवन करना, पानी में तिल को मिलाकर पीना, तिल से बने पदार्थों का भोजन करना और तिल अथवा तिल से बनी चीजों का दान करने से सभी पापों का नाश होता है।
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मौनी अमावस्या
यह दिन भी अति पवित्र द‍िन है इस दिन मौन रहकर या मुनियों जैसा आचरण करते हुए स्नान-दान करना चाह‍िए। इस दिन त्रिवेणी या गंगा तट पर स्नान-दान की भी बहुत ज्यादा मान्यता है। कृष्ण पक्ष की मौनी अमावस्या पुराणों के अनुसार अमावस्या तिथि के देव पितृ माने जाते हैं इसलिए इस दिन पितृों के नाम का शुद्ध शाकाहारी भोजन किसी जनेऊधारी ब्राह्मण को अर्पित करें अगर संभव न हो तो खीर ही अर्पित कर दें।
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बसंत पंचमी
शास्त्रों के अनुसार इस दिन विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा करने का विधान होता है और साथ ही पीली वस्तु का दान व पीले रंग का भोग ही भगवान को लगाया जाता है। 

अचला सप्तमी
माघ मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अचला सप्तमी का व्रत रखा जाता है। इसका महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था। उनके अनुसार इस दिन स्नान-दान, पितरों के तर्पण व सूर्य पूजा एवं वस्त्रादि दान करने से व्यक्ति बैकुंठ में जाता है। इस सप्तमी को अचला भानू सप्तमी भी कहा जाता है और इसे बहुत शुभ माना जाता है। 
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भीमाष्टमी 
शुक्ल पक्ष की ही अष्टमी को भीमाष्टमी कहते हैं। माना जाता है कि इस दिन भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर प्राण-त्याग किया था। मान्यता है कि इस दिन स्नान-दान व माधव पूजा से मनुष्य मात्र के सब पाप कट जाते हैं। इस शुभ दिन को भीष्म अष्टमी नाम से जाना जाता है। 

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माघ पूर्णिमा 
इस दिन यानि माघी पूर्णिमा का महत्व सर्वाधिक माना गया है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होकर अमृत की वर्षा करते हैं।मान्यता यह भी है कि माघ पूर्णिमा में स्नान दान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है।

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