सावन के सोमवार ही नहीं, मंगलवार भी होते हैं पुण्यदायी

Edited By Jyoti,Updated: 21 Jul, 2021 07:25 PM

mangala gauri vrat

हिंदू धर्म के अनुसार सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित है। इस पूरे मास में जहां भगवान शंकर की पूजा की जाती है तो इस माह में पड़ने वाले प्रत्येक सोमवार को भगवान शंकर को समर्पित

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हिंदू धर्म के अनुसार सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित है। इस पूरे मास में जहां भगवान शंकर की पूजा की जाती है तो इस माह में पड़ने वाले प्रत्येक सोमवार को भगवान शंकर को समर्पित व्रत किया जाता है। यूं तो प्रत्येक मास में पढ़ने वाला हर सोमवार ही भगवान शंकर की पूजा के लिए विशेष माना जाता है परंतु अगर बात की जाए सावन मास के सोमवार की तो इसका महत्व बाकि महीनें से खास माना जाता है। कहा जाता है कि इस मास में भगवान शंकर बहुत जल्दी अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनके सभी पाप कष्ट दूर करते हैं तथा अपनी कृपा बरसाते हैं।

आप जानते हैं कि श्रावण मास के सोमवार की तरह मंगलवार की शुभ माने जाते हैं। जी हां, मान्यताओं के अनुसार सावन का मंगलवार माता पार्वती की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार श्रावण में पढ़ने वाले मंगलवार को मंगला गौरी अर्थात माता पार्वती की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। एक तरफ जहां सोमवार को अच्छा वर पाने के लिए अविवाहित लड़कियां व्रत रखती है तो दूसरी और मंगला गौरी का व्रत रखकर विवाहित व सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त करती हैं।

श्रावण के मंगलवार को सुहागिन महिलाएं पूरा दिन व्रत रखकर शाम को मंगला गौरी की विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं व्रत कथा का श्रवण करती हैं।

इससे जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में धर्म धर्मपाल नामक एक सेठ था, जिसके पास धन, दौलत व वैभव की कोई कमी नहीं थी। परंतु उसके यहां कोई पुत्र नहीं था जिस कारण वे अत्यंत चिंतित रहता था। कुछ समय बाद उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई। परंतु उसे शाप था कि वह केवल 16 वर्ष जी पाएगा। 16 वर्ष की अवस्था में उसे सांप काटेगा, जिससे उसकी मृत्यु हो जाएगी।

जिस कारण सेठ ने अपने पुत्र की शादी 16 वर्ष की अवस्था के पहले ही कर दी जिससे उसकी शादी संपन्न हुई उसकी लड़की की मां मंगला गौरी का व्रत रखती थी। उसने देवी गौरी से अपने बेटी के सुखी होने का आशीर्वाद प्राप्त किया। जिसके परिणाम स्वरूप देवी गौरी के आशीर्वाद से नवविवाहित लड़की कभी विधवा नहीं हो सकती थी। कथाओं के अनुसार सास के आशीर्वाद से धर्मपाल के लड़के की आयु 100 हो गई। मान्यता है कि इसी के चलते सुहागिनें मंगला गौरी का व्रत रखका उनकी विधि-विधान से पूजा करती हैं। 


 

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