Edited By Jyoti,Updated: 21 Jun, 2019 12:23 PM
माना जाता है जिस घर में ज्यादा कलह-क्लेश होता है उस घर में रोगी भी अधिक पाए जाते हैं क्योंकि लड़ाई-झगड़ों के कारण घर आदि में तनाव पैदा होता है और तनाव से डिप्रेश्न के साथ-साथ और कई बीमारियां इंसान को पकड़ लेती हैं।
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माना जाता है जिस घर में ज्यादा कलह-क्लेश होता है उस घर में रोगी भी अधिक पाए जाते हैं क्योंकि लड़ाई-झगड़ों के कारण घर आदि में तनाव पैदा होता है और तनाव से डिप्रेश्न के साथ-साथ और कई बीमारियां इंसान को पकड़ लेती हैं। इन्हीं बीमारियों से पीछा छुड़वाने के लिए लोग बड़े से बड़े डॉक्टर के चक्कर काटते हैं। मगर कई बार बहुत इलाज के बाद भी इन रोगों से छुटकारा नहीं मिलता। तो बता दें कि ऐसे में हिंदू धर्म के कुछ मंत्र बहुत ही मददगार साबित हो सकते हैं।
कहा जाता है आध्यात्मिक नज़रिए से देखा जाए तो हर रोग का मूल कारण जातक के पूर्व जन्म या इस जन्म के पाप ही होता है। इसलिए आयुर्वेद में कहा गया है कि अगर देवताओं का ध्यान-स्मरण करते हुए दवाओं का सेवन किया जाए तो शारीरिक और मानसिक रोग दूर होते हैं।
मंत्र-
जन्मान्तर पापं व्याधिरूपेण बाधते।
तच्छान्तिरौषधप्राशैर्जपहोमसुरार्चनै:।।
मान्यता के अनुसार जप, हवन, देवताओं का पूजन, ये भी रोगों की दवाएं हैं। ऐसे में रोगों के नाश के लिए पूजा और देवताओं के मंत्र की उपयोगिता स्पष्ट है।
कहा जाता है जो लोग जटिल रोग से पीड़ित हों, उन्हें हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए। यूं तो हर कोई पूरी श्रद्धा से हनुमान चालीसा का पाठ करता है, परंतु रोगनाश के लिए हनुमान चालीसा की इन चौपाइयों और दोहों को मंत्र की तरह जपने का विधान है।
दोहा-
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवनकुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहि हरहु कलेस बिकार।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।
मान्यता है कि इस दोहे के जप से हर तरह के रोग, शारीरिक दुर्बलता, मानसिक क्लेश आदि दूर होते हैं। कहते हैं कि हनुमान जी के हर भक्त व उपासक को सदाचारी होना चाहिए। सदाचार से वे प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
इसका जाप दिन या रात में, जब कभी भी मौका मिले, हनुमान जी को याद करते हुए इन मंत्रों का मानसिक जप (मन ही मन) करना चाहिए। इसके अलावा चलते-फिरते, यात्रा करते हुए, कोई शारीरिक काम करते हुए भी इसे जपा जा सकता है।